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Kumbhalgarh Fort | कुम्भलगढ़ किला

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कुम्भलगढ़ किला

Kumbhalgarh Fort




कुछ समय पहले कुम्भलगढ़ का किला देखने का मौका मिला l इसे देखना, घूमना और इसका इतिहास जानना काफी अच्छा अनुभव रहा l वैसे तो राजस्थान मे अनेक किले है परन्तु इन सब मे कुम्भलगढ़ एक विशिष्ट स्थान रखता है l राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण चित्तौड़ के किले के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण यह कुम्भलगढ़ का किला अपने आप मे सम्पूर्ण इतिहास समेटे हुए है l राजस्थान के राजसमन्द जिले मे स्तिथ ये किला अपनी बेजोड़ मजबूती, अपनी बेहद लंबी दीवार और अपने गौरवशाली इतिहास जैसे कारणों की वजह से भारत मे ही नहीं वरन पूरी दुनिया मे प्रसिद्ध है l  इसकी कई खूबियों के कारण ये किला अब वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स मे शुमार कर लिया गया है l

इतिहास
इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी मे किया गया था और इसे राणा कुम्भा के द्वारा बनवाया गया था l राणा कुम्भा बेहद बहादुर और शक्तिशाली राजा थे और उनके चरम मे उनका साम्राज्य राजस्थान से मध्यप्रदेश तक फैला हुआ था l इस किले का डिजाईन और आर्किटेक्चर राणा कुम्भा और उस समय के आर्किटेक्ट मंदन ने बनाया था l ये किला 1443-1485 AD के बीच बनता रहा और इसके सम्पूर्ण निर्माण मे लगभग 15 साल लगे l 

इस किले के निर्माण के पीछे भी एक रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है l जब राणा कुम्भा इस किले का निर्माण करने लगे तो इसमें एक के बाद एक समस्याए आने लगी l इस किले की प्रसिद्ध दीवार बार बार गिर जाया करती थी और बन नहीं पा रही थी l राणा कुम्भा को परामर्श मिला कि निर्माण की समस्या और अड़चन को दूर करने के लिए नरबली देनी होगी l राणा कुम्भा परेशान हो गए की इस कार्य के लिए कौन स्वेच्छा से नरबली देगा l एक संत को जब ये पता लगा तो उन्होंने इस कार्य के लिए अपने आप को कुर्बान करने की इच्छा जताई l आखिरकार संत की बलि दी गयी और संत का सर, धड़ से अलग कर दिया गया l परामर्श के अनुसार, संत का सर लुडकता लुडकता जहाँ जा कर रुका वहाँ पर राणा कुम्भा ने एक मंदिर बनवाया और जहाँ धड़ गिरा वहाँ से दीवार बनवानी प्रारंभ की l इसके बाद निर्माण मे कोई अड़चन नहीं आयी और किले का सम्पूर्ण निर्माण हो पाया l      

ये किला मेवाड़ के लिए बेहद सुरक्षित पनाहगाह रहा क्योंकि जब भी मेवाड़ पर मुश्किलें आयी और आक्रमण हुए, राजा के परिवार को इस किले मे सुरक्षित रखा जाता था l कुँवर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन भी यहीं बीता था l पन्ना धाय ने सबसे छिपा कर महाराणा उदय सिंह का पालन पोषण भी यही किया था l ये किला राजस्थान के गौरव महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी है और हल्दी घाटी के युद्ध मे परास्त होने के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी किले मे रहे थे l 

यह किला अभेद्य माना जाता था और इस किले ने कई आक्रमण झेले है l अहमद शाह (प्रथम), महमूद खिलजी, अकबर समेत कई आक्रमणकारियों ने इस पर हमले किये l यह किला एक बार को छोड़ कर हमेशा ही अजेय रहा है l कुम्भलगढ़ का किला सिर्फ एक बार ही परास्त हुआ था जब तीन राजाओं ने सयुंक्त रूप से कुम्भलगढ़ के किले को चारों ओर से घेर लिया था l इस घेराव के बाद किले के अन्दर पानी धीरे धीरे ख़त्म हो गया और कुम्भलगढ़ को आत्मसमर्पण करना पड़ा l ये तीन राजा थे – अकबर, उदय सिंह और मान सिंह l इसके बाद 1576 मे ये किला अकबर के हाथों मे चला गया परन्तु 1585 मे महाराणा प्रताप ने दुबारा इस किले पर कब्ज़ा कर लिया l 

ये भी बड़े दुख की बात है कि जिस महाराणा कुम्भा को कोई भी युद्ध मे परास्त नहीं कर पाया वो अपने ही पुत्र उदय सिंह (प्रथम)  के हाथो राज्य की लालसा मे मारे गए । 

विशिष्टता
इस किले की सबसे बड़ी विशिष्टता है इसकी दीवार जो की लगभग 36 किलोमीटर लंबी है l लंबी होने के साथ साथ ही ये दीवार लगभग 15 फीट चौड़ी है जिस पर आठ घोड़े एक साथ चल सकते है और इस दीवार को देखने के बाद यक़ीनन हमे चीन की दीवार याद आ जाती है l किले की दीवार बीच बीच मे से नीचे की तरफ आते हुए गुम्बद की आकृति ले लेती है जो की दुश्मन को रखने के लिए बनायीं गयी थी l इस किले मे बड़े बड़े सात  दरवाज़े है जिनके नाम है राम पोल, हनुमान पोल, हल्ला पोल, पाघरा पोल, निम्बू पोल , भैरव पोल और तोपखाना पोल l  इनमे से राम पोल सबसे बड़ा दरवाज़ा है l 

इस किले को बहुत सोच समझ कर रणनीतिक रूप से अरावली की पहाड़ियों के बीच मे बनाया गया था l इस किले की स्तिथि ऐसी है कि जैसे ही आप इस किले से डेढ़-दो किलोमीटर दूर जाएँगे ये किला आपको दिखना बंद हो जाएगा l इस किले के आस पास जंगल है जिससे ये किला और सुरक्षित हो जाता था l अब इस जंगल को वाइल्ड लाइफ सैंक्च्युरी मे तब्दील कर दिया गया है l 

इस किले का निर्माण वास्तु के अनुसार किया गया था और किले मे कई विशाल दरवाज़े, महल, मंदिर, प्राचीर, यज्ञ वेदी, जलाशय और अलग अलग तरह की इमारतें है l इसके प्रमुख महलों मे बादल महल और कुम्भा महल है l इस किले के अन्दर लगभग 360 मंदिर है जिनमे से अधिकतर जैन मंदिर है l 

कुम्भलगढ़ कैसे पहुँचे 
सड़क मार्ग – कुम्भलगढ़ सड़क मार्ग से सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है l ये किला राजसमन्द से लगभग 48 किलोमीटर, उदयपुर से लगभग 103 किलोमीटर, अजमेर से लगभग 213 किलोमीटर और राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 345 किलोमीटर है l
रेल मार्ग – कुम्भलगढ़ के सबसे समीप रेलवे स्टेशन है फालना, जो की लगभग 84 किलोमीटर है l
हवा मार्ग – कुम्भलगढ़ के सबसे समीप हवाई अड्डा है उदयपुर, जो की लगभग 116 किलोमीटर है l  

कुम्भलगढ़ कब जाएँ
चूँकि राजस्थान मे गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है इसीलिए यहाँ घुमने का सबसे अच्छा समय है अक्टूबर से मार्च l इसी के साथ साथ जुलाई और अगस्त मे जब मानसून होता है तब यहाँ घूमना एक अलग ही अनुभव होता है क्योंकि मानसून मे किले पर सबसे ऊपर चढ़ने के बाद आपको ऐसा लगता है जैसे की आप बादलों मे हो साथ ही आपको चारों ओर दूर दूर तक हरियाली से आच्छादित पहाड़ियाँ दिखती है l

कुम्भलगढ़ मे क्या करें
किले मे देखने योग्य बहुत कुछ है जैसे बादल महल, बड़े बड़े विशाल दरवाज़े, किले की दीवार, शिव मंदिर स्तिथ विशालकाय शिवलिंग, लाइट एंड साउंड शो जो की प्रत्येक दिन शाम को आयोजित होता है, विभिन्न इमारते और मंदिर l

कुम्भलगढ़ मे कहाँ रुके
कुम्भलगढ़ किला काफी प्रसिद्ध स्थल है इसीलिए यहाँ पर रुकने के लिए हर तरह की सुविधा है l आपको कुम्भलगढ़ के आस पास ही बजट होटल से लेकर शानदार विलासिता से युक्त रिसोर्ट मिल जाएँगे l आप अगर चाहें तो पास ही स्तिथ रणकपुर के आस पास भी रुक सकते है l हम कुम्भलगढ़ स्तिथ रिसोर्ट The Wild Retreat मे रुके थे और ये काफी अच्छा और शानदार रिसोर्ट था l

कुम्भलगढ़ के आसपास अन्य पर्यटक स्थल
  • उदयपुर
  • हल्दीघाटी
  • रणकपुर जैन मंदिर
  • राजसमन्द झील
  • नाथद्वारा

अन्य जानकारी
  • इस किले को आप सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक देख सकते है l
  • इस किले को देखने के लिए आपको टिकट लेना होगा l भारतीय और सार्क देशों के पर्यटकों के लिए ये 15 रुपए का है जबकि बाकी देशों के पर्यटकों के लिए ये 200 रुपए का है l 
  • लाइट एंड साउंड शो शाम 6.45 से 7.30 तक चलता है और इसका टिकट 100 रुपए का है, यह शो देखने लायक है l
  • यहाँ पर आपको कोई आधिकारिक गाइड तो नहीं मिलेगा परन्तु आस पास के स्थानीय लोग ही गाइड बने हुए है जिनसे आपको इस किले के बारे मे बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है l आस पास के छोटे छोटे प्यारे बच्चे तक यहाँ गाइड बने हुए है l
  • किला घुमने से पहले अपने साथ पानी की बोतल जरुर ले ले क्योंकि ऊपर चढ़ने के बाद पानी नहीं मिलेगा l
  • कार पार्किंग बहुत ज्यादा बड़ी नहीं है और हो सकता है की किले की ओर जाने वाली सड़क पर ही आपको अपना वाहन खड़ा करना पड़े l
  • कैमरे और मोबाइल से विडियो इत्यादि बना सकते है परन्तु ड्रोन उड़ाना वर्जित है l     




Kumbhalgarh
किले के सामने की ओर का दृश्य



Kumbhalgarh
किले पर जाने वाला रास्ता

Kumbhalgarh Fort
ऊपर चढ़ते समय दिखने वाले दृश्य

Kumbhalgarh Fort
भव्य दरवाज़ा

Kumbhalgarh Fort
भव्य दरवाज़ा

Kumbhalgarh Fort
बादल महल


Kumbhalgarh Fort
मंदिर और भव्य दीवार

Kumbhalgarh Fort
किले के अन्दर बना हुआ रास्ता

Kumbhalgarh Fort
बादल महल

Kumbhalgarh Fort
बादल महल से दिखने वाला दृश्य

Kumbhalgarh Fort
बादल महल से दिखने वाला दृश्य

Kumbhalgarh Fort
बादल महल

Kumbhalgarh Fort
मंदिर

Kumbhalgarh Fort
शिव मंदिर

Kumbhalgarh Fort
विशालकाय शिवलिंग

Kumbhalgarh Fort
शिव मंदिर से दिखता हुआ किला

Kumbhalgarh Fort
दीवार और बादल महल

Kumbhalgarh Fort
15 फीट चौड़ी दीवार

Kumbhalgarh Fort
15 फीट चौड़ी दीवार

Kumbhalgarh Fort
मंदिर












































































1 comment :

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