Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 10 सितम्बर - चंडीगढ़ से मनाली
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 10 सितम्बर - चंडीगढ़ से मनाली
सुबह छ बजे के अलार्म से हमारी नींद टूटी l नहा-धो कर होटल से निकलने मे हमे लगभग आठ बज गए l आज हमे मनाली पहुँचना था जो कि चंडीगढ़ से लगभग 310 किलोमीटर था l हमारा होटल जीरकपुर मे था और हमे हाईवे तक आने मे पूरा चंडीगढ़ पार करना पड़ा पर उस दिन रविवार होने के कारण ज्यादा यातायात नही था और हम जल्द ही चंडीगढ़ से बाहर निकल गए l चंडीगढ़ से निकलते ही रूपनगर पड़ता है, इस छोटे से शहर मे विक्रांत के परिचित का खुद का होटल है l चूँकि विक्रांत के परिचित को हमारी यात्रा के बारे मे पहले से ही पता था तो उन्होंने विक्रांत से मिलते हुए जाने को बोला था इसलिए हम तीनों रूपनगर मे विक्रांत के परिचित के यहाँ पहुँचे l हम सब को अपने यहाँ देख कर वो बहुत खुश हुए और हमे चाय-नाश्ता करवाया l वहाँ लगभग एक घंटा रुकने के बाद हम आगे मनाली की तरफ रवाना हो गए lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 11 सितम्बर - मनाली से केलोंग
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 11 सितम्बर - मनाली से केलोंग
आज सुबह उठने की ज्यादा जल्दी नही थी क्योंकि आज हमे सिर्फ 115 किलोमीटर ही जाना था और रोहतांग से आगे जाने का परमिट हमने इन्टरनेट से पहले ही ले रखा था l हमने हमारा मनाली वाला होटल भी नाश्ते के साथ ही बुक करवाया हुआ था और हमे मालुम था की नाश्ता लगते लगते सुबह के नौ - साढ़े नौ बज ही जाएँगे l नहा-धो कर हम सब ने पहले अपना सामान बाइक पर बाँधा और नाश्ता करने पहुँचे l नाश्ता कुछ खास स्वादिष्ट नहीं था और नाश्ता करते वक़्त उत्साह के साथ साथ बैचनी भी महसूस हो रही थी, बैचनी ऐसी जैसी की किसी बड़ी परीक्षा से पहले होती है l ये शायद इसलिए था कि हम इस यात्रा पर पहली बार आये थे और आगे होने वाली घटनाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ थे l इस यात्रा के बारे मे इतना कहा और सुना गया था कि जब असल मे इस यात्रा को शुरु करने का समय आया तो उत्साह के साथ साथ हमारी बैचनी भी बढ़ गयी थी l खैर, नाश्ता करके हम होटल से रवाना हो गए lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 12 सितम्बर - केलोंग से पांग
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 12 सितम्बर - केलोंग से पांग
आज हम आराम से उठे क्योंकि योजना के अनुसार आज हमे सरचू जाना था जो की लगभग 100 किलोमीटर ही था l सुबह उठे और होटल की छत पर गए l सुबह सुबह बहुत हलकी सी गुलाबी ठण्ड थी और मौसम बिलकुल साफ़ था l भगवान् सूर्यदेव ने भी दर्शन दे दिए थे l चारों और हरियाली से ओत-प्रोत पहाड़, बिलकुल साफ़ नीला आकाश, दूर कुछ पहाड़ों की चोटियों पर चमकती हुई चाँदी जैसी बर्फ, ऑक्सीजन से भरपूर साफ़ हवा और हाथ मे कड़क चाय, और क्या चाहिए ? कई बार मन करता है कि सब कुछ छोड़- छाड़ कर ऐसी जगह ही बस जाएँ l मन कर रहा था कि यूँ ही बैठे रहे पर हमे अभी बहुत कुछ देखना था सो हम सब नहा-धो कर तैयार हो गए lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 13 सितम्बर - पांग से लेह
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 13 सितम्बर - पांग से लेह
कैसे-तैसे रात कटी और सुबह हुई l हाथ-मुहँ धो कर चाय पी, कपडे बदले, नहाने का तो सवाल ही नही था क्योंकि वहाँ पर ठण्ड का आलम ये था की ढ़ाबे के बाहर रखा हुआ पानी बर्फ मे तब्दील हो चूका था l सुबह होते ही सबसे पहले विचार आया क्या आज मैं लेह पहुँच पाउँगा या नही क्योंकि मेरी बाइक का कुलेंट बॉक्स बिलकुल खाली हो चूका था l मैंने विचार किया कि हो सकता है किसी और के भी पास मेरी वाली बाइक हो, इस उम्मीद मे मैंने सभी ढ़ाबों का निरिक्षण किया पर मेरी बाइक किसी के पास नही थी l मुझे नही मालुम था कि ये कौनसा कुलेंट है और क्या मैं कोई दूसरा कुलेंट डाल सकता हूँ? फ़ोन की कोई व्यवस्था थी नहीं जो मैं किसी से पूछ पाता l कुछ दुसरे बाइकर से मैंने बात की पर कोई भी अतिरिक्त कुलेंट नही ले कर चल रहा था और उनको भी मेरी बाइक के बारे मे कुछ ज्यादा पता नही था l मुझे बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि अभी तो हमारी लेह यात्रा शुरू ही हुई थी और अब तक हम लेह भी नही पहुँचे थे l हम तीनो ने इस यात्रा से पहले ये योजना बनायीं थी कि अगर किसी की बाइक मे कुछ भी हो जाता है और अगर बाइक सही नही हो पाती है तो उस कारण से हम हमारी इस यात्रा को स्थगित नही करेंगे l अब हमे ये निर्णय लेना था कि मुझे लेह की तरफ बाइक चला कर जाना है या मनाली की तरफ किसी ट्रक मे बाइक लोड करवा कर lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 14 सितम्बर - लेह
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 14 सितम्बर - लेह
आज हमे लेह ही रहना था इसीलिए हम सब आराम से उठे l तस्सल्ली से चाय पी और चूँकि पांग मे हम ज्यादा ठण्ड होने के कारण नहाये नही थे इसीलिए अच्छी तरह से नहाये-धोये l हमारे कुछ कपडे, जो की धोने बहुत जरुरी थे, वो धोये l नहा-धो कर जब हम हमारा सामान बाइक पर बाँध रहे थे तब हमे वहाँ पर दो अन्य बाइकर मिले जो की अपनी बाइक की चेन सर्विस कर रहे थे l उनसे जब मैंने मेरी बाइक की कुलेंट की समस्या पर बात की तो उन्होंने मुझे बताया की ये एक सामान्य प्रक्रिया है, कुलेंट किसी किसी परिस्तिथी मे ओवरफ्लो पाइप से बाहर निकल जाता है और उन्होंने बताया की मेरी बाइक के कुलेंट बॉक्स मे भी ओवरफ्लो पाइप होगा l मैंने जब अच्छी तरह से मेरी बाइक का अवलोकन किया तो मुझे ओवरफ्लो पाइप मिल गया l उन्होंने मुझे ये भी बताया की मैं कोई भी हरे रंग का कुलेंट डलवा सकता हूँ l ये सुन कर मेरा सारा तनाव जाता रहा और ये अहसास हुआ की कभी कभी कोई बहुत गंभीर समस्या का हल बहुत सरल होता है lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 15 सितम्बर - लेह से पंगोंग लेक
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 15 सितम्बर - लेह से पंगोंग लेक
सुबह करीबन साढ़े छ बजे आँख खुली l आज हमे पंगोंग लेक जाना था और पंगोंग लेक की दुरी लेह से लगभग 160 किलोमीटर है l रास्ते मे एक ही पास पड़ता है, जो है चांगला पास l अधिकतर लोग लेह आने के बाद पहले नुब्रा वैली जाते है क्योंकि इस रास्ते पर खारदुन्गला पास पड़ता है और सबको इस पास पर जाने का उत्साह ज्यादा रहता है पर हमने पहले ही योजना बना ली थी कि हम पहले पंगोंग लेक जाएँगे l नहा-धो कर हमने हमारा सारा सामान बाँध दिया और कमरा खाली कर दिया l होटल वाले भाई साहब ने हमारा सामान एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया l हमने होटल कोजी कार्नर को उसके सहयोग के लिए बहुत धन्यवाद दिया lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 16 सितम्बर - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 16 सितम्बर - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
सुबह करीबन सात बजे मेरी आँख खुली, जब तक विक्रांत और सत्या उठ चुके थे और वो टेंट से बाहर झील के किनारे जा चुके थे, पता नहीं मुझे इतनी जबरदस्त नींद कैसे आयी l मैं भी मुँह-हाथ धो कर विक्रांत और सत्या के पास झील किनारे पहुँचा l कहते हैं कि पंगोंग झील पर सूर्योदय देखना अगल ही अनुभव है परन्तु ये अनुभव मैं नहीं ले पाया, विक्रांत और सत्या ने इसका अनुभव लिया l खैर, कुछ देर और पंगोंग झील के किनारे बिताने के बाद हमने चाय, काफी पी और दुबारा टेंट मे आकर निकलने की तैयारी की l आज हमे दुबारा लेह जाना था l लगभग नौ बजे के आस पास नाश्ता लग गया था तो हम सभी नाश्ता करने पहुँचे l वहाँ पर कुछ दुसरे बाईकर भी रुके हुए थे जिनसे अनायास ही बातें चल पड़ी l उन्होंने हमसे बोला कि लेह जाने की बजाय हम लोग सीधे नुब्रा वैली जा सकते है वाया आगम l ये रास्ता हमेशा खुला हुआ नही रहता है और वो सभी उसी रास्ते से नुब्रा से पंगोंग आये थे l उन्होंने बताया कि रास्ते के कई हिस्से खराब है पर फिर भी रास्ता ठीक ही है l अब हम तीनों ने नाश्ता करते करते ये वार्तालाप किया की क्या किया जाए तो निष्कर्ष ये निकला कि हमे लेह जाने की बजाय सीधे नुब्रा जाना चाहिए l इसके अनेक फायदे थे, पहला हमे बिलकुल नया रास्ता देखने को मिलता, दूसरा हमारा एक दिन बचता और तीसरा चांगला भी दुबारा नही चढ़ना पड़ता lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 17 सितम्बर - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 17 सितम्बर - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
सुबह लगभग साढ़े छ के आस पास उठे, हाथ-मुहँ धोये और चाय पी और उसके बाद कुछ देर रिसोर्ट का भ्रमण किया, फ़ोटोज़ लिए l रिसोर्ट काफी बड़ा और अच्छा था l हमने निश्चय किया कि नाश्ता करते ही जल्दी से जल्दी निकल जाएँगे l आज का दिन बहुत रोमाँचकारी होने वाला था क्योंकि आज हमे खारदुन्गला पास पार करना था l इस पास के बारे मे कहा जाता है कि ये दुनिया का सबसे ऊँचा पास है हालाँकि इस बात के ऊपर भी कुछ विवाद है l खैर, हमे विवादों से क्या लेना देना था, हमारे लिए तो बस ये एक और नयी घुमने की जगह थी l तैयार हो कर हम सबने नाश्ता किया जो कि काफी स्वादिस्ट था और नाश्ते मे काफी विकल्प थे l नाश्ता करते हुए हमने तय किया कि पहले दिस्कित मोनेस्ट्री जाएँगे और चूँकि नुब्रा वैली से लेह की दुरी लगभग 160 किलोमीटर ही थी तो विक्रांत ने सुझाव दिया की क्यों ना पनामिक तक भी हो आया जाए l हंडर से पनामिक की दुरी थी लगभग 60 किलोमीटर, जो की कुछ ज्यादा नही थी l पनामिक मे पहाड़ से प्राकृतिक रूप से गर्म पानी निकालता है जिसमे कई तरह के लवण होते है और कहते है कि इस पानी से नहाने से शरीर को बहुत फायदा होता है l विक्रांत का सुझाव अच्छा था और हमने सोचा की जाने फिर कब यहाँ आने का मौका मिले इसीलिए हमने पनामिक भी जाने का फैसला भी कर लिया lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 18 सितम्बर - लेह शहर
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 18 सितम्बर - लेह शहर
आज का तो पूरा दिन ही हमने लेह शहर और खरीदारी के नाम कर रखा था इसीलिए हम सुबह आराम से उठे l बहुत धीरे धीरे, फुर्सत से चाय पी, नहाये – धोये और करीबन सुबह के ग्यारह- साढ़े ग्यारह बजे लेह का बाज़ार घुमने निकले l हालाँकि अधिकतर बाज़ार खुल गया था पर फिर भी कुछ दुकाने अभी भी खुल रही थी l आज हमने सुबह ही ये निर्णय ले लिया था कि नाश्ता बाहर ही करेंगे सो बाज़ार मे हम खाने पीने का सामान तलाश रहे थे l इसी बीच घूमते हुए एक दुकान दिखी जिस पर गर्म गर्म समोसे बन रहे थे l जयपुर मे तो हर थोड़े दिनो बाद समोसे कचौरी खा ही लिया करते है पर जब से इस यात्रा पर आये तब से हमने समोसे कचौरी नही खाए थे इसीलिए गर्म गर्म समोसे बनते देख मुह मे पानी आ गया l समोसे काफी अच्छे थे और हमने देखा की वैसे तो समोसा इस क्षेत्र का व्यंजन नही है फिर भी वहाँ के लोग भी इसे खाना पसंद करते है l समोसे के बाद चाय का लुत्फ़ उठाया तो सारा मज़ा किरकिरा हो गया l समोसे तो स्वादिस्ट थे पर चाय बहुत ही खराब थी क्योंकि दुकान वाले के पास दूध नही था तो उसने दूध की जगह वो चाय मिल्कमेड से बनायी थी l चाय इतनी बुरी थी की हमने बमुश्किल दो-दो घूँट ही पी l मन मे विचार आया की दुनिया चाय बना बना कर कहाँ से कहाँ पहुँच गयी और इससे ठीक ठाक सी चाय भी नही बन रही lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 19 सितम्बर - लेह से सोनमर्ग
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 19 सितम्बर - लेह से सोनमर्ग
लेह से सोनमर्ग की दुरी लगभग 350 किलोमीटर है और रास्ते का सबसे बड़ा आकर्षण है जोजिला पास l जोजिला पास हमारी इस यात्रा मे पड़ने वाला आखिरी पास था l सोनमर्ग तक दुरी ज्यादा थी इसीलिए हम सुबह जल्दी उठ गए l हमारी योजना थी के हम सोनमर्ग शाम पाँच-छ बजे तक पहुँच जाए तो वहाँ भी थोडा घूम फिर ले l सामान तो लगभग हमने रात को ही तैयार कर लिया था और सुबह नहा-धो कर अपनी अपनी बाइक पर बाँध लिया l अब हमारे पास तीन भरे हुए पेट्रोल के केन थे, जिन्हें हम मनाली से ही ढो रहे थे, लेकिन किसी की बाइक मे कहीं भी इन्हें उपयोग लेने की जरुरत महसूस नही हुई l हाँ, ये केन नुब्रा वैली मे काम आ सकते थे अगर वहाँ नया पेट्रोल पंप नही मिलता तो l इतने पेट्रोल को साथ ले जाने का कोई औचित्य नही था क्योंकि इस मार्ग पर पेट्रोल आसानी से मिल जाता है इसीलिए हमने एक एक केन सबकी मोटरसाइकिल मे डाल लिया l होटल वाले भाई साहब से विदा ले कर हम लगभग सुबह साढ़े आठ बजे के आस पास लेह से निकल गए l
Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 20 सितम्बर - सोनमर्ग से जम्मू
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 20 सितम्बर - सोनमर्ग से जम्मू
सुबह उठे और ज्यों ही बाहर देखा दिल खुश हो गया l रात को हम अँधेरा होने के बाद सोनमर्ग पहुँचे थे इसीलिए हम कुछ भी नही देख पाए थे l हमारे होटल के सामने और चारों और हरियाली से आच्छादित पहाड़ थे l इन पहाड़ों पर इतने पेड़ थे कि लद्दाख़ के विपरीत पहाड़ों का मूल स्वरुप ही नही दिख रहा था l जितना की कल हम चले थे आज भी लगभग हमे उतना ही चलना था यानी लगभग 350 किलोमीटर l जैसा की हमने पहले ही योजना बना ली थी, हमे श्रीनगर से डल झील देखते हुए जम्मू निकलना था l रास्ते आज भी पहाड़ी ही थे और हमे आज NH44 का उपयोग करना था l NH44 भारत का सबसे लम्बा राजमार्ग है जो की श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाता है l हमे पता लगा की इस राजमार्ग काफी जगह काम चल रहा है और इस पर यातायात का दबाव भी बहुत रहता है इसीलिए हमने सोचा की हम जल्दी से जल्दी सोनमर्ग से निकल जाएँगे lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 21 सितम्बर - जम्मू से चंडीगढ़
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 21 सितम्बर - जम्मू से चंडीगढ़
सुबह सबसे पहले मेरी आँख खुली तो मुँह से हँसी छूट गयी l विक्रांत और सत्या एक दुसरे से उलटे सो रहे थे l जिस ओर विक्रांत के पाँव थे उस ओर सत्या का मुँह था और जिस ओर सत्या के पाँव थे उस ओर विक्रांत का मुँह था l असल मे कल इतनी थकान हो गयी थी की रात को बात करते करते जो जहाँ पड़ गया था उसको वहीँ नींद आ गयी थी l मेरे कुछ देर बाद विक्रांत और सत्या भी उठ गए l चाय पीते पीते विक्रांत ने जल्दी चंडीगढ़ पहुँचने की योजना बनायीं क्योंकि उसको डीकैथलन से कुछ सामान खरीदना था l चंडीगढ़ मे डीकैथलन का बहुत बड़ा स्टोर है l डीकैथलन खेलने कूदने से संबंधित सामान बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध है lBike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 22 सितम्बर - चंडीगढ़ से जयपुर
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 22 सितम्बर - चंडीगढ़ से जयपुर
आखिरकार हमारी यात्रा का आखिरी दिन आ गया l सुबह लगभग साढ़े छ बजे उठे, चाय पी और नहाये-धोये l हमे आज चंडीगढ़ से जयपुर पहुँचना था जो की लगभग 550 किलोमीटर था l जब 9 सितम्बर को हमारी लेह यात्रा शुरू हुई थी तब उस दिन भी हम जयपुर से चंडीगढ़ आये थे l सारा रास्ता देखा हुआ था और असल मे हमारी इस पूरी लेह यात्रा मे जयपुर से चंडीगढ़ का मार्ग ही एक ऐसा मार्ग था जिस पर हम दुबारा सफ़र कर रहे थे इसीलिए आज के सफ़र को ले कर दिल मे कोई खास उत्साह नही था l इसी के साथ साथ यात्रा और छुट्टियां ख़त्म होने का मलाल भी दिल मे था l दिमाग मे आया कि जयपुर पहुँच कर जिन्दगी वही पुराने ढर्रे पर आ जाएगी, घर से ऑफिस और ऑफिस से घर l
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