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Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - प्रस्तावना

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कई बार हम हमारे जीवन मे कुछ निर्णय अनायास ही ले लेते है जिसका कि हमारे जीवन के ऊपर बहुत प्रभाव पड़ता है, ऐसा ही एक निर्णय था हमारी “लेह-लद्दाख़की बाइक यात्रा का l इस यात्रा को बहुत कठिन और रोमांचक माना जाता है और जब इंसान कोई भी कठिन काम करता है तो उसका कठिनाइयों से जूझने का स्तर अपने आप बढ़ जाता है l अगली बार उस इंसान मे इससे भी ज्यादा कठिन काम करने का विश्वास पैदा हो जाता है और यही कारण है की इंसान हर कठिनाई पर विजय प्राप्त करता है l हमारे ऊपर भी इस अभूतपूर्व और रोमांचक यात्रा का प्रभाव पड़ना लाज़िमी था l




लद्दाख़ प्रांत, जम्मू और कश्मीर राज्य मे पड़ता है तथा ये एक पहाड़ी क्षेत्र है जो कि अपने अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए दुनिया भर मे प्रसिद्द है l दुनिया भर से पर्यटक यहाँ घुमने आते है और अगर आप एक बाइकर है, तो कहते है कि लद्दाख़ यात्रा के बिना आपकी बाइकिंग अपूर्ण है l




हम तीन मित्र – विक्रांत, सत्या और मैं (लवनीश) एक सॉफ्टवेयर कंपनी, जयपुर में कार्यरत है और बाइक द्वारा लेह-लद्दाख़ की यात्रा का विचार सर्वप्रथम विक्रांत के जेहन मे आया था l हम तीनो मित्रों मे से विक्रांत को घुमने-फिरने और भ्रमण का सबसे ज्यादा शौक और अनुभव है l इस बाइक यात्रा के लिए उसको एक नयी और अच्छी बाइक चाहिए थी l उसके पास 12-13 साल पुरानी एक बाइक थी TVS की विक्टर, जिसको वो पूरी तरह से रगड़ चूका था l 2016 मे काफी सोच विचार के बाद और सभी पहलुओं को ध्यान मे रखकर उसने Bajaj Avenger 220 खरीदी, जो कि एक परखी हुई क्रूजर बाइक थी l जब वो इस यात्रा की योजना बना रहा था तो उसके दिमाग मे था कि उसको ये यात्रा 2017 मे पूरी करनी है l उसने जब अपनी ये योजना मुझे और सत्या को बताई तो हमे भी इस यात्रा को करने का विचार आया l 

मैंने जब लद्दाख़ के बारे मे जानकारी जुटाई, वहाँ के फोटोज, विडियोज देखे और बाइक पर इस यात्रा पर जाने के बारे मे सुना तो मेरी भी इस यात्रा पर जाने की तीव्र इच्छा हुई l हम सबके इस यात्रा पर जाने के अपने अपने कारण थे l विक्रांत की बहुत पहले से ही इस यात्रा को बाइक से करने की इच्छा थी इसीलिए उसके लिए ये जैसे किसी सपने को पूरा करने जैसा था l मुझे लेह-लद्दाख़ की प्राकृतिक सुन्दरता ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया था और साथ मे बाइक पर इस यात्रा पर जाना बिलकुल सोने पे सुहागे जैसा था l सत्या को तो बस बहुत दूर और किसी लंबी यात्रा पर जाने की इच्छा थी क्योंकि वो कुछ दिनों के लिए जीवन की आपाधापी से बहुत दूर चला जाना चाहता था l घर से ऑफिस और ऑफिस से घर के उबाऊ जीवन वो थक चूका था और कुछ दिनों के लिए सब कुछ भूल कर जीवन का आनंद लेना चाहता था l

वैसे तो लद्दाख़ की यात्रा कई प्रकार से कर सकते है परन्तु इस यात्रा को बाइक से करने का अलग ही रोमाँच है, खासकर मनाली-लेह हाईवे के द्वारा l मनाली-लेह हाईवे पर बाइकिंग से जुड़ा हर तरह का रोमाँच है और वैसे भी बाइक से यात्रा करना एक अलग ही अनुभव होता है क्योंकि बाइक पर आप जिस जगह पर होते है वहाँ पर आप पूरी तरह से उस जगह से जुड़ जाते है जैसे – वहाँ की हवा, धुप, खुशबु इत्यादि l दोपहिया पर आप उस जगह के वातावरण को पूरी तरह से आत्मसात कर सकते हो जबकि किसी भी चोपहिया वाहन मे आपको ये अनुभूति नही होती l

हमने योजना बनाई कि हम ये यात्रा सितम्बर माह मे करेंगे क्योंकि इस वक़्त तक सड़कें थोड़ी ठीक हालात मे होती है, मौसम भी आपका साथ देता है, पर्यटक भी कम हो जाते है और सबसे बड़ी बात आपको लद्दाख़ में इस वक़्त कुदरत के हजारों रंग दिखाई देते है जैसे बर्फ से ढकी पहाड़िया, हरियाली से ओत-प्रोत रास्ते, रेगिस्तान का भूरा रंग, पतझड़ की छठा इत्यादि l

यात्रा का वक़्त तो तय कर ही लिया था अब वक़्त था इस यात्रा के लिए संसाधन जुटाना और खुद को तैयार करना l विक्रांत ने तो बाइक ले ही ली थी अब बचे मैं और सत्या l सत्या के पास Honda Shine 125 थी जो की उसने 2012 मे खरीदी थी और वो लगभग 45000 किलोमीटर चल चुकी थी l विक्रांत और मुझे लगा कि सत्या शायद नयी बाइक लेगा या फिर किराए की कोई अच्छी सी बाइक से ये यात्रा पूर्ण करेगा परन्तु सत्या ने घोषणा कर दी कि वो इसी बाइक से इस यात्रा को पूरी करेगा l असल मे यहाँ पर बाइक महत्वपूर्ण नही है वरन जो इसे लेकर जाता है वो महत्वपूर्ण है l हम जानते थे की सत्या मानसिक रूप से बहुत सुदृढ़ है इसीलिए विक्रांत और मुझे लग गया की सत्या इस यात्रा को उसकी बाइक से पूर्ण कर ही लेगा l विक्रांत और सत्या की बाइक का निर्णय तो हो गया था परन्तु मेरी बाइक का अता-पता नहीं था l मेरे पास एक बाइक हुआ करती थी TVS Fiero F2, जिसको मैं एक साल पहले ही बेच चुका था और इस यात्रा के लिए मुझे नयी बाइक लेनी थी l अधिकतर लोग इस यात्रा पर Royal Enfield (RE) की बाइक का उपयोग करते है पर मैं RE नहीं खरीदना चाहता था l हालाँकि ये एक अच्छी बाइक थी पर मैं कोई नयी आधुनिक बाइक लेना चाहता था l

दीपावली2016  के आस पास मुझे पता लगा की Bajaj जल्दी ही अपनी नयी बाइक उतारने जा रहा है तो मैंने थोडा इंतज़ार करना उचित समझा l 2016 के अंत मे Bajaj ने अपनी नयी बाइक Dominar 400 अविश्वसनीय कीमत पर बाजार मे उतार दी और मैंने हाथो-हाथ बिना कुछ विचार किये अप्रैल 2017 मे इसे खरीद लिया l नयी बाइक ले कर मैं बहुत खुश था लेकिन मेरी ये ख़ुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि मेरी बाइक मे एक के बाद एक कई समस्याए आने लगी जैसे इंजन से ऑइल लीक होना उसके पश्चात् स्टार्ट होने की समस्या होना, पेट्रोल टंकी मे एयर लॉक की समस्या होना इत्यादि l बिलकुल नयी बाइक मे इन घटनाओ से मैं बहुत दुखी हुआ और एक वक्त पर मुझे लगने लगा की मैं शायद इस यात्रा पर ना जा पाऊं l ये मेरे लिए बहुत ही बड़ा धक्का था पर अच्छे की उम्मीद मे मैंने इस यात्रा के लिए तैयारियां करना नहीं छोड़ा l कहीं न कहीं मुझे उम्मीद थी की मैं इस यात्रा पर जरुर जाऊँगा l

अब हम तीनों के पास अपनी अपनी बाइक थी और अब हमको आगे की तैयारी करनी थी l इस कठिन यात्रा को पूरा करने से भी कठिन एक काम लग रहा था कि हम कैसे अपने घर वालों को इस यात्रा के बारे में बताए l चूँकि विक्रांत ने तो बाइक खरीदते वक़्त ही अपनी पत्नी को विश्वास मे लेकर इस यात्रा के बारे मे बता दिया था सो वो हम सब में सबसे निश्चिंत लग रहा था l नौकरी के कारण हम सब जयपुर मे ही रहते है परन्तु हम सबका गृहनगर राजस्थान मे अलग अलग जगह है l हम सबके माता –पिता गृहनगर ही रहते है और आते जाते रहते है l विक्रांत ने इस यात्रा के बारे मे अपनी पत्नी को तो बता दिया पर अपने पिताजी को नहीं बताया क्योंकि उसको पूरा डर था कि उसके पिताजी उसको इस बाइक यात्रा की आज्ञा नहीं देंगे l सत्या ने बिलकुल साफ़ सुथरे शब्दों मे उसकी पत्नी और जयपुर मे बसे उसके रिश्तेदारों मे घोषणा कर दी की वो बाइक से लद्दाख़ की यात्रा पर जा रहा है l उसके इस फैसले का विरोध तो हुआ पर सत्या ने किसी की नहीं सुनी l मुझे सूझ ही नहीं रहा था की कैसे अपने घर वालों को इस यात्रा के बारे मे बताऊँ l मेरे माता-पिता को मैंने इस यात्रा के बारे मे कुछ भी पता नही लगने दिया क्योंकि मुझे वो कभी भी आज्ञा नही देते l मेरी पत्नी सरकारी नौकरी करती है और किसी दुसरे शहर में पोस्टेड है सो मैंने उसको मेरी यात्रा के बारे मे इतना सा ही बताया की हम तीन मित्र जयपुर से मनाली तक बाइक यात्रा पर जाएँगे l हालाँकि वो इस बात पर भी राज़ी नहीं हुई सो मैं कैसे उसको लद्दाख़ के बारे मे बताता ?

समय पास आता गया और हम सब जोर-शोर से तैयारियों मे लग गए क्योंकि ये यात्रा आसान तो कतई नही थी l पहली बात तो ये की हम सब इस यात्रा पर पहली बार जा रहे थे, हमे लद्दाख़ का कोई अनुभव नही था और हमारे साथ कोई अनुभवी व्यक्ति भी नही था जिसने इस यात्रा को पूरा करा हो l लगातार कई घंटे तक बाइक चलाना, सड़कों का ख़राब हालत मे होना, बहुत ऊँचाई के कारण हवा मे ऑक्सीजन की मात्रा कम होना, जबरदस्त ठण्ड होना जैसे कारण इस यात्रा को कठिन बनाते है और इन सब के लिए हमे खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से अपने आपको तैयार करना था l यात्रा पर जाने से 1-2 महीनों पहले से ही हमने अपने आपको शारीरिक रूप से तैयार करना चालू कर दिया था जैसे व्यायाम, जॉगिंग, रनिंग, योग इत्यादि l यात्रा मे काम आने वाला समान की सूची बनाई गई l कुछ सामान हमारी बाइक से संबंधित था जैसे बाइक के कागजात, पंचर किट, चैन स्प्रे, बाइक बैग इत्यादि l कुछ सामान हमारी खुद की सुरक्षा के लिए ख़रीदा जैसे  बाइकिंग गियर्स, रेनकोट, जूते इत्यादि l खाने-पीने का सामान जुटाया गया जैसे ड्राई-फ्रूट्स, बिस्कुट, चॉकलेट इत्यादि तथा और भी कई जरुरी सामान ख़रीदा जैसे – दवाईयां, पॉवर बैंक, थर्मल बोतल इत्यादि l अगस्त आते आते मैंने मेरी बाइक की सब समस्याओं का समाधान करवा लिया था और अब मैं बाइक को लेकर निश्चिंत था l

हमने तय किया की हम 9 सितम्बर, 2017 को इस यात्रा पर निकलेंगे और हमने जयपुर से लद्दाख़ यात्रा की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली l चूँकि लेह जाने के लिए मुख्यत दो मार्ग थे सो अब हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न ये था कि हम किस मार्ग से जाएँ ? पहला मार्ग है मनाली, केलोंग, सरचू होते हुए लेह तथा दूसरा मार्ग है जम्मू, श्रीनगर, सोनमर्ग, कारगिल होते हुए लेह l अनुभवी लोग सलाह देते है कि अगर आप प्रथम बार इस यात्रा पर जा रहे है तो आपको जम्मू-कारगिल वाला मार्ग लेना चाहिए क्योंकि इस मार्ग पर लेह तक ऊँचाई धीरे धीरे बढती है और आप के शरीर को कम ऑक्सीजन के लिए अभ्यस्त होने का समय मिल जाता है l काफी सोच विचार के बाद हमने तय किया कि हमे मनाली-सरचू मार्ग से ही जाना चाहिए क्योंकि उन दिनों कश्मीर मे बहुत तनाव पूर्ण माहौल था और हम लेह पहुँचने से पहले इस तरह का जोखिम नही उठाना चाहते थे l हमने सोचा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो आती समय हम श्रीनगर होते हुए आ जाएँगे l

जैसे जैसे प्रस्थान का दिन नजदीक आता जा रहा था वैसे वैसे हमारे दिल मे उत्साह बढ़ता जा रहा था l प्रस्थान से 2-3 दिन पहले सारा समान करीने से जमा दिया गया, बैग तैयार कर लिए गए l 8 सितंबर को ऑफिस से काम निपटा कर थोडा जल्दी निकले और ऑफिस मे जिसको भी पता था उन सब ने हमारी ये यात्रा अच्छी तरह पूर्ण होने की कामना की और बधाईयाँ दी l पहले दिन यानी 9 सितम्बर को हमे जयपुर से चंडीगढ़ जाना था जो की लगभग 530 किलोमीटर दूर था सो हमने तय किया की हम सुबह छ बजे मोती डूंगरी गणेश मंदिर पर मिलेंगे तथा वहाँ से भगवान् गणेश का आशीर्वाद ले कर अपनी यात्रा प्रारंभ करेंगे l 8 सितम्बर की रात इस यात्रा के उत्साह के कारण करवटे बदलते हुए ही निकल गयी l 9 सितम्बर की सुबह 4:30 अलार्म बजा और आखिर वो दिन आ गया था जिसका हमको बेसब्री से कई दिनों से इंतज़ार था l

लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1.   लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2.   लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3.   लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4.   लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5.   लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर

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