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Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 14 सितम्बर - लेह

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लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 14 सितम्बर - लेह

आज हमे लेह ही रहना था इसीलिए हम सब आराम से उठे l तस्सल्ली से चाय पी और चूँकि पांग मे हम ज्यादा ठण्ड होने के कारण नहाये नही थे इसीलिए अच्छी तरह से नहाये-धोये l हमारे कुछ कपडे, जो की धोने बहुत जरुरी थे, वो धोये l नहा-धो कर जब हम हमारा सामान बाइक पर बाँध रहे थे तब हमे वहाँ पर दो अन्य बाइकर मिले जो की अपनी बाइक की चेन सर्विस कर रहे थे l उनसे जब मैंने मेरी बाइक की कुलेंट की समस्या पर बात की तो उन्होंने मुझे बताया की ये एक सामान्य प्रक्रिया है, कुलेंट किसी किसी परिस्तिथी मे ओवरफ्लो पाइप से बाहर निकल जाता है और उन्होंने बताया की मेरी बाइक के कुलेंट बॉक्स मे भी ओवरफ्लो पाइप होगा l मैंने जब अच्छी तरह से मेरी बाइक का अवलोकन किया तो मुझे ओवरफ्लो पाइप मिल गया l उन्होंने मुझे ये भी बताया की मैं कोई भी हरे रंग का कुलेंट डलवा सकता हूँ l ये सुन कर मेरा सारा तनाव जाता रहा और ये अहसास हुआ की कभी कभी कोई बहुत गंभीर समस्या का हल बहुत सरल होता है l

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लगभग ग्यारह बजे हम सब अपना सामान समेट कर अंकल जी से छुटकारा पा कर अपने नए होटल कोजी कार्नर पहुँच गए l इस होटल का मालिक काफी जवान बंदा था और हमारे जल्दी पहुँचने पर भी उसने हमे हमारा कमरा दे दिया, हमने उसे शुक्रिया कहा और अपना सामान कमरे मे जमा दिया l अगला काम था इनर लाइन परमिट लेना l लद्दाख़ के अंदरूनी और सरहदी इलाके घुमने के लिए इनर लाइन परमिट लेना अनिवार्य है l हमे पंगोंग लेक और नुब्रा वैली घूमना था इसीलिए हमने ये योजना बनायी कि परमिट लेने के पश्चात मेरी बाइक मे कुलेंट की समस्या सही करवा कर हम सब लेह के आस पास की जगह घूम लेंगे l लेह के आस पास घुमने के काफी स्थान है जैसे - पत्थरसाहिब गुरुद्वारा, संगम, मेग्नेटिक हिल इत्यादि l 

होटल ने निकल कर हम सबसे पहले इनर लाइन परमिट लेने पहुँचे l इनर लाइन परमिट DM ऑफिस जारी करता है l एक फॉर्म पर आपको अपने बारे मे जानकारी भरनी होती है,, जहाँ जहाँ जाना होता है वो बताना होता हैं, कुछ फीस देनी होती है (लगभग पाँच सौ रुपए) और अपना ड्राइविंग लाइसेंस की प्रतिलिपि भी जमा करवानी होती है l DM ऑफिस मे बहुत ज्यादा भीड़ नही थी और हमे लगभग आधे घंटे मे ही इनर लाइन परमिट मिल गया l इनर लाइन परमिट लेने के बाद हम एक ऐसी दुकान पर गए जो की बजाज कंपनी का सामान रखता था परन्तु उसके पास बजाज का कुलेंट नही था l मैंने 2-3 दुकानों पर पता किया पर किसी के भी पास वो कुलेंट नही मिला जो मेरी बाइक मे डाला हुआ था l सलाह के अनुसार, मैंने कैस्ट्रोल का हरे रंग का कुलेंट ही डलवा लिया और उसकी एक अतिरिक्त बोतल भी खरीद ली क्योंकि मुझे मालूम था कि हों सकता है कि कुलेंट दुबारा कुलेंट बॉक्स से निकल जाए l

कुलेंट डलवाने के  पश्चात हम गुरुद्वारा श्री पत्थर-साहिब की ओर निकल पड़े l गुरुद्वारा श्री पत्थर-साहिब लेह शहर से लगभग 25 किलोमीटर लेह-कारगिल हाईवे पर स्थित है l सड़क बहुत ही अच्छी है, 25 किलोमीटर कब निकल गए पता ही नही चला और जल्द ही हम गुरुद्वारा श्री पत्थर-साहिब पहुँच गए l इस गुरुद्वारे का रख रखाव भारतीय सेना करती है और भारतीय सेना ने ये कार्य बहुत ही अच्छी तरह से किया हुआ है l गुरुद्वारा श्री पत्थर-साहिब मे एक बहुत बड़ा पत्थर रखा हुआ है और इस पत्थर पर श्री गुरु नानक की छवि साफ़ दिखाई देती है l कहते है कि 1517 ई मे जब गुरुनानक देव जी लेह आये थे तब एक राक्षस ने पहाड़ी से एक बहुत बड़ा पत्थर गुरुनानक देव जी के ऊपर फेंका था परन्तु गुरुनानक देव जी को स्पर्श करते ही पत्थर का हिस्सा मोम मे तब्दील हो गया और पत्थर मे धंसा गुरुनानक देव जी के शरीर का निशान आज भी उस पत्थर मे मौजूद है l गुरुद्वारा बहुत ही खुबसूरत है और यहाँ आ कर मन बहुत प्रसन्न होता है l गुरुद्वारा देखने के पश्चात हमे पता लगा की यहाँ लंगर भी चल रहा है l इससे अच्छा हमारे लिए क्या हो सकता था, हम भी लंगर मे बैठ गए l वहाँ पर ज्यादा लोग नही थे, हम तीनों को मिलाकर यही कोई 15-20 लोग होंगे l भारतीय सेना के जवानो ने हमे खाना परोसा l चावल-राजमा, सब्जी, रोटी और सलाद का प्रसाद था जो की बहुत ही स्वादिस्ट था l ऐसा क्यों होता है कि किसी भी आध्यात्मिक स्थान का प्रसाद हमे हमेशा ही स्वादिस्ट और अच्छा लगता है ? प्रसाद मे प्रयुक्त होने वाला सारा सामान हमारे घरों मे भी होता है परन्तु फिर भी आध्यात्मिक स्थान का प्रसाद मे अलग ही स्वाद होता है l ऐसा शायद इसीलिए होता है कि इसको बनाने के पीछे भावना बहुत ही अच्छी होती है और ये एक तरह ये निस्वार्थ भाव से की  गयी सेवा है l खैर, लंगर ग्रहण करने के बाद हमने कुछ तस्वीरें ली और कुछ देर यहाँ बिताने के बाद हम संगम की ओर रवाना हो गए l

पहाड़ों से घिरे इस संगम पर दो नदियाँ आकर मिलती है, पहली है इंडस नदी और दूसरी ज़न्स्कार नदी l इस संगम से लगती हुई सड़क की ऊँचाई ज्यादा होने की वजह से सड़क से इस संगम का दृश्य बहुत ही खुबसूरत और विहंगम दिखाई पड़ता है l सड़क से संगम की ओर मुहँ करके देंखे तो इंडस नदी बाईं से दांयी ओर और ज़न्स्कार नदी सामने से अपनी ओर प्रवाहित होती दिखती है l जिस तरह से ये दोनों नदियाँ आपस मे मिलती है वह काफी रोचक नज़ारा होता है क्योंकि जहाँ एक तरफ इंडस नदी बिलकुल साफ़ पानी से युक्त नीली-हरी आभा देती है वहीँ ज़न्स्कार नदी का पानी थोडा मटमैला नज़र आता है l मुख्य सड़क की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण वहाँ से संगम तक पहुँचने के लिए छोटा सा रास्ता है l हम तीनों भी संगम तक गए, काफी देर तक नदी किनारे बैठे रहे और कुछ तस्वीरें ली l साफ़ आकाश, चारों ओर दूर तक फैले पहाड़ और दो नदियों का संगम अद्भुत दृश्य लगता है l संगम पर एक छोटा सा रेस्टोरेंट भी है, वहाँ से हमने चाय ले कर पी और मेग्नेटिक हिल की ओर रवाना हो गए l
    
संगम से कुछ ही दूरी पर स्थित है मेग्नेटिक हिल l मेग्नेटिक हिल, कारगिल-लेह हाईवे पर स्थित सड़क का एक छोटा सा हिस्सा है l कहते है कि सड़क के इस हिस्से पर अगर आप अपना बंद वाहन खड़ा करे तो वाहन स्वत: ही सड़क पर चलने लगता है l यह थोडा आश्चर्यजनक लगता है क्योंकि आपको सड़क ऊँचाई पर जाती हुई दिखती है ऐसे मे ये महसूस होता है कि बंद वाहन अपने आप चढ़ाई पर कैसे चढ़ रहा है l ये माना जाता है कि इस जगह पर कुछ चुम्बकीय शक्ति है जो कि वाहन को चढ़ाई पर भी खीँच लेती है l मैंने, सत्या और विक्रांत ने भी प्रयास किया परन्तु हमे तो कुछ भी महसूस नही हुआ l उलटे सत्या की बाइक तो विपरीत दिशा मे चलने लग गयी जिस पर हम सब खूब हँसे l असल मे उस जगह पर कुछ भी रहस्यमयी नही है l वहाँ जो कुछ भी है, वो है, दृष्टि भ्रम (ऑप्टिकल इलूजन) l वास्तव मे, इस जगह हमे जो सड़क ऊपर की ओर जाती हुई दिखाई देती है वो असल मे ढलान है और ये ढलान ही बंद वाहन को गति देती है l खैर वहाँ आधा-पौना घंटा मस्ती करने के बाद हम शाम करीब 5 बजे लेह के लिए रवाना हो गए l
   
शाम के करीब छ बजे हम हमारे होटल पहुँच गए l थोड़ी देर आराम करने के बाद हम पैदल ही लेह के बाज़ार की सैर करने निकल गए l लेह का बाज़ार पूरी तरह पर्यटकों को ध्यान मे रखकर ही बनाया हुआ है l अधिकतर दुकाने कपड़ों की है खासकर पश्मीना की l सूखे मेवे, खाने-पीने और किताबों की दुकाने भी मिल जाती है l कुछ दुकानों पर जा कर यूँ ही मस्ती की और हमने ये योजना बनायी की आज रात का खाना हम हमारे होटल ही मे खाएँगे क्योंकि होटल वाले भाई साहब ने हमे इसके लिए बहुत जोर दिया था l घुमने- फिरने के बाद करीब रात नौ बजे हमने हमारे होटल मे ही खाना खाया l लेह मे आपको ठेठ आपके राज्य का खाना तो नही मिलेगा परन्तु सामान्य खाना लगभग सभी कुछ मिल जाएगा l उदाहरण के लिए गट्टे की सब्जी, जो की ठेठ राजस्थान का व्यंजन है, वो ज्यादा अच्छी नही मिलेगी पर पनीर की सब्जी, दाल इत्यादि आसानी से मिल जाएगी l खाना खाने के बाद हम थोड़ी देर टहले और फिर अपने कमरे मे आ कर अगले दिन के बारे मे विचार किया l अगले दिन यानि 15 को हमे पंगोंग लेक जाना था, रात मे वहीँ रुकना था और उसके अगले दिन यानी 16 को वापस लेह आना था l हमने ये योजना बनायीं कि हम हमारा कमरा खाली कर देंगे चूँकि अगली रात तो हमे पेंगोंग लेक रुकना था परन्तु समस्या हमारे सामान को लेकर थी l केवल एक दिन के लिए सारा सामान पंगोंग लेक ले कर जाना और फिर वापस लाना सही नहीं लग रहा था l इस बात को लेकर हमने होटल वाले भाई साहब से बात की तो वो हमारे सामान की जिम्मेदारी लेने को तैयार हो गए l ये सुन कर हमे बहुत प्रसन्नता महसूस हुई l काफी दिनों के बाद आज का दिन बहुत तसल्ली भरा था l 
 
Leh Ladakh Bike Trip, Leh
अंकल के होम स्टे मे लगा हुआ सेव का पेड़

Leh Ladakh Bike Trip, Leh
इनर लाइन परमिट यहाँ से मिला

Leh Ladakh Bike Trip, Leh
लेह बाज़ार मे भारतीय डाक का कार्यालय

Leh Ladakh Bike Trip, Leh
लेह बाज़ार

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Gurudwara patthar sahib
गुरुद्वारा श्री पत्थरसाहिब

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Gurudwara patthar sahib
गुरुद्वारा श्री पत्थरसाहिब

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Gurudwara patthar sahib
गुरुद्वारा श्री पत्थरसाहिब का द्वार

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Gurudwara patthar sahib
लेह-कारगिल हाईवे पर स्तिथ गुरुद्वारा श्री पत्थरसाहिब

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Magnetic hill
मेग्नेटिक हिल

Leh Ladakh Bike Trip, Leh. Magnetic Hll
मेग्नेटिक हिल

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Magnetic Hill
मेग्नेटिक हिल पर भावी बाइकर से बात करते हुए विक्रांत और सत्या

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Confluence of river
संगम

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Confluence of river
संगम

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Confluence of river
संगम पर हम तीनों

Leh Ladakh Bike Trip, Leh, Confluence of river
विक्रांत और सत्या

Leh Ladakh Bike Trip, Leh
लेह के पास

Leh Ladakh Bike Trip, Leh
होटल जहाँ हम रुके थे
लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1.   लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2.   लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3.   लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4.   लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5.   लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर

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