Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 15 सितम्बर - लेह से पंगोंग लेक
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 15 सितम्बर - लेह से पंगोंग लेक
सुबह करीबन साढ़े छ बजे आँख खुली l आज हमे पंगोंग लेक जाना था और पंगोंग लेक की दुरी लेह से लगभग 160 किलोमीटर है l रास्ते मे एक ही पास पड़ता है, जो है चांगला पास l अधिकतर लोग लेह आने के बाद पहले नुब्रा वैली जाते है क्योंकि इस रास्ते पर खारदुन्गला पास पड़ता है और सबको इस पास पर जाने का उत्साह ज्यादा रहता है पर हमने पहले ही योजना बना ली थी कि हम पहले पंगोंग लेक जाएँगे l नहा-धो कर हमने हमारा सारा सामान बाँध दिया और कमरा खाली कर दिया l होटल वाले भाई साहब ने हमारा सामान एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया l हमने होटल कोजी कार्नर को उसके सहयोग के लिए बहुत धन्यवाद दिया l
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सुबह करीब आठ बजे के आस पास हम सब नाश्ता करके पंगोंग लेक के लिए निकल गए l पंगोंग लेक जाने के लिए हम दुबारा लेह-मनाली हाईवे पर ही आये l लेह से लगभग 35 किलोमीटर दूर कारू से पंगोंग लेक के लिए रास्ता अलग हो जाता है l आज बाइक को तेज़ी से घुमाने-फिराने मे बहुत आनंद आ रहा था क्योंकि हमारे पास बस एक ही छोटा सा बैग था और हमारे बड़े बड़े बैग लेह के होटल मे ही आराम फरमा रहे थे l लेह से कारू तक तो बहुत ही अच्छी सड़क है परन्तु जैसे ही हम पंगोंग लेक के लिए अलग रास्ते पर मुड़े, सड़क की स्थिति बहुत ख़राब हो गयी l पंगोंग लेक के लिए मुड़ते ही हमे सड़क के किनारे खडी हुई पुलिस मिली, जिसने हमारे कागज़ात देखे जैसे कि इनर परमिट, हमारी बाइक का रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि l लेह के सरहदी और अंदरूनी इलाकों मे घुमने के लिए या तो आप अपनी खुद की बाइक का उपयोग कर सकते है या जम्मू और कश्मीर की रजिस्टर्ड बाइक किराए पर ले सकते है, आप किसी दुसरे राज्य की किराए की बाइक नही ले सकते l
सुबह करीब आठ बजे के आस पास हम सब नाश्ता करके पंगोंग लेक के लिए निकल गए l पंगोंग लेक जाने के लिए हम दुबारा लेह-मनाली हाईवे पर ही आये l लेह से लगभग 35 किलोमीटर दूर कारू से पंगोंग लेक के लिए रास्ता अलग हो जाता है l आज बाइक को तेज़ी से घुमाने-फिराने मे बहुत आनंद आ रहा था क्योंकि हमारे पास बस एक ही छोटा सा बैग था और हमारे बड़े बड़े बैग लेह के होटल मे ही आराम फरमा रहे थे l लेह से कारू तक तो बहुत ही अच्छी सड़क है परन्तु जैसे ही हम पंगोंग लेक के लिए अलग रास्ते पर मुड़े, सड़क की स्थिति बहुत ख़राब हो गयी l पंगोंग लेक के लिए मुड़ते ही हमे सड़क के किनारे खडी हुई पुलिस मिली, जिसने हमारे कागज़ात देखे जैसे कि इनर परमिट, हमारी बाइक का रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि l लेह के सरहदी और अंदरूनी इलाकों मे घुमने के लिए या तो आप अपनी खुद की बाइक का उपयोग कर सकते है या जम्मू और कश्मीर की रजिस्टर्ड बाइक किराए पर ले सकते है, आप किसी दुसरे राज्य की किराए की बाइक नही ले सकते l
कागजात दिखाने के बाद हम पंगोंग लेक की तरफ निकल गए l सड़क पर काम चल
रहा था और सड़क के एक ओर सड़क बनाने का सामान जैसे रोड़ी-पत्थर पड़ा हुआ था, काफी मिट्टी और धुल थी l कुछ
दूर इस धुल भरी सड़क पर चलने के बाद हम बहुत खीज गए और सड़क किनारे एक ढाबा देख
कर हमे चाय पीने की इच्छा महसूस हुई l कुछ देर हमने वहाँ बैठ कर चाय-पानी लिया,
खाने की इच्छा तो थी नही क्योंकि हम सब लेह से ही नाश्ता करके चले थे l
ढ़ाबे से निकलने के बाद सड़क अच्छी हो गयी तो हम सबको ख़ुशी महसूस हुई पर
हमारी ये ख़ुशी ज्यादा देर नही टिक पायी क्योंकि फिर से बिलकुल कच्ची सड़क चालू हो
गयी l बहुत जगह तो एक ही दिशा मे जाती हुई कई कच्ची सड़के दिखी पर हमने वहाँ की
स्थानीय टैक्सी वालों का रास्ता चुना l
जल्द ही चांगला पास की चढ़ाई चालु हो गयी l
सड़क की हालत बहुत ख़राब थी l शुरू की चढ़ाई मे मिट्टी, धूल, पत्थर थे और इन पर बाइक
को चलाने मे कठिनाई हो रही थी l बीच बीच मे कुछ दुरी के लिए अच्छी सड़क भी आ जाती थी l
दूर से देखने पर चारों ओर फैले हुए पहाड़ ऐसे लगते थे जैसे की किसी कच्ची सी मिट्टी
के बने हो पर जब आप उसी पहाड़ की सड़क पर चल रहे होते हो तो वो बिलकुल भी कमज़ोर
नही लगते l कुछ देर बाद हम ज़िन्ग्राल पार कर गए l दूर हमे बर्फ से ढके पहाड़ दिख
रहे थे और उन्ही के बीच कहीं चांगला पास था l जैसे जैसे हम चढ़ते गए वैसे वैसे हमे ऊँचाई
की वजह से ठण्ड का एहसास होने लग गया और लगने लग गया की चांगला पास अब ज्यादा दूर
नही हैं l सड़क ख़राब होने की वजह से हमारी मोटरसाइकिले भी बहुत जल्दी हाँफ जाती है
क्योंकि क्लच और गियर का इस्तेमाल बहुत बढ़ जाता है l कुछ देर बाद हमे एक इमारत
दिखाई दी तो लगने लगा की हम शायद चांगला पास पहुँच गए है l ये इमारत थी चांगला कैफ़े और सामने ही चांगला पास
था l चांगला पास लगभग 17,688 फीट की ऊँचाई
पर स्थित है और कहा जाता है कि ये दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा पास है l चांगला
पास पर ही चांगला बाबा का मंदिर है और सेना की पोस्ट भी l वहाँ हमे सेना के दो
जवान मिले जो की हमारी यात्रा के बारे मे पूछ रहे थे, उन्होंने जब सत्या की बाइक देखी
तो सत्या की बहुत प्रशंषा की और कहा की भाई तूने तो कमाल कर दिया l उनसे प्रशंषा सुन कर अब तो सत्या का उत्साह दोगुना हो चूका था l
हम करीबन 40-45
मिनट तक चांगला पास रुके, वहाँ फ़ोटो ली और कुछ लोगों से बातें की l वहाँ से निकल
कर हम चांगला पास उतरने लग गए l सड़क के हालात वैसे ही थे जैसे की चढ़ाई के समय थे l
चांगला पास पूरी तरह से उतरने के बाद सड़क थोड़ी सही हो गयी और हमारी बाइक्स ने
रफ़्तार पकड़ ली l कुछ देर बाद हम एक T पॉइंट पर पहुंचे, जहाँ से एक सड़क पंगोंग जा रही
थी और दूसरी दुर्बुक की ओर l उस T पॉइंट पर काफी सारे छोटे छोटे ढ़ाबे और रेस्टोरेंट थे l चांगला
उतरने के बाद हम काफी पस्त हो चुके थे और हमे थोड़ी भूख भी लगने लगी थी l वहाँ एक रेस्टोरेंट
पर हम रुक गए और हम तीनों ने राजमा-चावल खाए l वहाँ पर काफी लोग आये हुए थे जिनमे
से अधिकतर तो बाइकर ही थे l खाना खाकर, कुछ देर सुस्ता कर हम आगे रवाना हो गए l
अब सड़क पहले की तुलना मे काफी अच्छी थी और हम आनंद लेते हुए आगे बढ़ते रहे l कुछ देर चलने के हमे एक बहुत सुन्दर और शांत स्थान दिखा तो हमारी बाइक्स के ब्रेक अपने आप ही लग गए l समतल जमीन, बीच मे जाती हुई सड़क, तीनों ओर कुछ दूर स्थित पहाड़, सड़क के बाई ओर रेतीला भूभाग, सड़क के दाई ओर हरियाली, उस घास के मैदान पर बहता हुआ पानी और घास चरती हुई पहाड़ी भेड-बकरियां l ये दृश्य ऐसा ही था जैसे कि आप कोई पोस्टर देख रहे हो l हम तीनों वहाँ रुक गए और फोटो लेने लगे l उस छोटी सी नदी के किनारे हम तीनों काफी देर तक लेटे रहे और ऊपर फैला बिलकुल साफ़ नीला आकाश जैसे हमारी ओर ही देख रहा था l प्रकृति की इतनी खूबसुरती के साथ साथ वहाँ कितनी शान्ति थी l वहाँ आँखें बंद करने के बाद लग रहा था कि अगर ऐसी शान्ति और सुकून का अनुभव हम रोज़ कर सकें तो कितना अच्छा हो l ऐसी जगह पर आ कर सारी आधुनिकता, चमक-दमक, टीवी, इन्टरनेट, मोबाइल बेमानी से लगने लगते है l उस खुबसूरत स्थान पर हम काफी देर रुकने के बाद पंगोंग की तरफ रवाना हो गए l
अब सड़क पहले की तुलना मे काफी अच्छी थी और हम आनंद लेते हुए आगे बढ़ते रहे l कुछ देर चलने के हमे एक बहुत सुन्दर और शांत स्थान दिखा तो हमारी बाइक्स के ब्रेक अपने आप ही लग गए l समतल जमीन, बीच मे जाती हुई सड़क, तीनों ओर कुछ दूर स्थित पहाड़, सड़क के बाई ओर रेतीला भूभाग, सड़क के दाई ओर हरियाली, उस घास के मैदान पर बहता हुआ पानी और घास चरती हुई पहाड़ी भेड-बकरियां l ये दृश्य ऐसा ही था जैसे कि आप कोई पोस्टर देख रहे हो l हम तीनों वहाँ रुक गए और फोटो लेने लगे l उस छोटी सी नदी के किनारे हम तीनों काफी देर तक लेटे रहे और ऊपर फैला बिलकुल साफ़ नीला आकाश जैसे हमारी ओर ही देख रहा था l प्रकृति की इतनी खूबसुरती के साथ साथ वहाँ कितनी शान्ति थी l वहाँ आँखें बंद करने के बाद लग रहा था कि अगर ऐसी शान्ति और सुकून का अनुभव हम रोज़ कर सकें तो कितना अच्छा हो l ऐसी जगह पर आ कर सारी आधुनिकता, चमक-दमक, टीवी, इन्टरनेट, मोबाइल बेमानी से लगने लगते है l उस खुबसूरत स्थान पर हम काफी देर रुकने के बाद पंगोंग की तरफ रवाना हो गए l
पंगोंग झील लगभग
14,250 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और लगभग 134 किलोमीटर लंबी है l इस झील का लगभग 40%
हिस्सा भारत मे और बाकी हिस्सा 60% चीन
पड़ता है l सर्दियों मे ये झील पूरी तरह से जम जाती है l कुछ देर चलने के बाद हमे
दूर से झील की पहली झलक दिखी जो की बिलकुल नीली आभा दे रही थी l पहली झलक देखने के
बाद हम जल्द से जल्द वहाँ पहुँचना चाहते थे क्योंकि शाम होने को थी और कहते है की
शाम को ये झील बिलकुल जादुई लगती है l आखिरकार शाम करीब 5 बजे के आस पास हम पंगोंग
झील पहुँच गए l फटाफट बाइक खडी की और पहुँच गए झील किनारे l हम झील को बिलकुल पास
से देख लेना चाहते थे और इसके पानी को छुना चाहते थे l झील के किनारे पहुँच कर
एहसास हुआ की वास्तव मे लोग इसको दूर दूर से देखने क्यों आते है l चारों ओर
पहाड़ों से घिरी हुई बिलकुल साफ़ पानी की ये झील कभी नीली तो
कभी हरी आभा देती है l ऊपर आकाश से जाते हुए बादलों की परछाइयां जब झील के चारों
ओर के पहाड़ों पर पड़ती है तो पूरा दृश्य ही बदल जाता है और हर बार आपको नया खुबसूरत
दृश्य दिखाई देता है l इस झील पर नाना प्रकार के पंछी कलरव करते हुए दिखाई देते
है और आपको फोटो खींचने के लिए उत्तम अवसर प्रदान करते है l
फिल्म “3 Idiots”
के बाद से यहाँ पर काफी संख्या मे पर्यटक पहुँचने लगे है l सबको जैसे पता लग गया हो की लद्दाख़ भी कोई जगह है भारत मे घुमने की और यहाँ के स्थानीय
निवासियों ने इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है l झील के एक ओर फोटो खिचवाने के
लिए कई तरह व्यवस्थायें कर दी गयी है जैसे कि बजाज का वो पीला सा स्कूटर जिस पर
करीना कपूर फिल्म के अंतिम दृश्यों मे बैठ कर आती हैं , “3 Idiots” की वो लाल, हरी,
नीली हिप्स बेंच और खुद करीना कपूर के कट-आउट
जिस के साथ आप फोटो खिचवा सकते है l पर्यटकों का बहुत बड़ी संख्या मे आना कोई बुरी बात नहीं है पर इतने लोग जब आते है तो अव्यवस्था तो फैलती ही है और उस पर भी कुछ लोग हमारी खुबसूरत दुनिया की बिलकुल भी कद्र नहीं करते और यहाँ वहाँ गन्दगी फैलाने से बाज़ नहीं आते l हालाँकि पंगोंग लेक पर इसको लेकर सब जागरूक है इसीलिए ये झील अभी अपने मूल स्वरुप मे है l
लगभग एक घंटा वहां रुकने और मौज-मस्ती करने के बाद हम आगे की ओर
बढ़ गए जहाँ रुकने के लिए टेंट संचालित थे l 2-3 विकल्प देखने के बाद आखिरकार हमे
एक टेंट पसंद आ गया जो की पंगोंग झील के किनारे ही था l टेंट से बाहर आते ही
सामने बमुश्किल सौ मीटर की दुरी पर ही पंगोंग झील थी l टेंट बिलकुल साफ़ सुथरा
था और इसमें एक डबल-बेड और एक अलग से सिंगल बेड था l टेंट के अन्दर ही टेंट के साथ
लगता हुआ बाथरूम था जिसमे गर्म पानी की व्यवस्था भी थी l हम तीनों ने फटाफट हाथ-मुहँ
धोये और कपडे बदल लिए l अब चूँकि रात के खाने मे समय था तो हम सब पंगोंग झील के
किनारे बैठ गए l झील के किनारे बहुत शान्ति का अनुभव हो रहा था, बीच
बीच मे तेज़ हवा लहरों को किनारे की तरफ धकेलती थी और हवा की ताकत कम पड़ते ही पानी
दुबारा पीछे चला जाता था परन्तु इस सबके बीच सुनाई देती थी लहरों के किनारे से
टकराने की मधुर आवाज़ l शाम हो चली थी, रात दस्तक दे रही थी और सर्दी तेज़ी से बढती
जा रही थी l हम लगभग एक-डेढ़ घंटा वहीँ पर बैठे रहे और जीवन की आपाधापी से दूर
कुदरत की खूबसूरती का आनंद लेते रहे l
कुछ
देर बाद वेटर आया और हमे रात का खाना खाने को बोला क्योंकि वहाँ पर रात 10 बजे के बाद
लाइट नही होती है l उसके बाद हम सब ने रात का खाना खाया l खाने मे थे सूप, चावल,
सब्जी, दाल, रोटी इत्यादि, खाना स्वादिस्ट था l खाना खाते खाते लगभग साढ़े-नौ बज गए l खाना खा कर हम कुछ देर और टहले और फिर अपने टेंट मे जाकर बातें करने लगे l
रात को करीब दस सवा-दस बजे के आस पास लाइट चली गयी l कुछ देर बाद बाहर निकल कर
देखा तो आखें फटी की फटी रह गयी l इतना साफ़ आकाश, आकाश मे लाखों तारे, झील मे पड़ती
आकाश की आभा, बहुत अद्भुत दृश्य था l शहरों के प्रदुषण की वजह से हमे ये एहसास ही नहीं होता की रात को आकाश मे इतने तारें दिखते है l इस अद्भुत दृश्य को कुछ देर निहारने के बाद हम टेंट
मे आये और सो गए l
चांगला पास की ओर |
चांगला पास की ओर |
चांगला पास की ओर |
चांगला कैफे |
विक्रांत चांगला पास पर |
चांगला पास |
याक़ |
चांगला के बाद मिली अच्छी सड़क |
अफीम ?? |
आराम से चलें |
खुबसूरत प्रकृति |
पहाड़ी भेड़ |
वाह ! |
सुकून के पल |
3 Idiots ! |
पंगोंग |
पंगोंग |
पंगोंग |
शीशे सा पानी |
पंगोंग |
हमारे टेंट से बाहर का दृश्य |
विक्रांत और सत्या टेंट के बाहर आराम करते हुए |
पंगोंग शाम के समय |
1. लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2. लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4. लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5. लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6. लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9. लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर
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