Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 9 सितम्बर - जयपुर से चंडीगढ़
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 9 सितम्बर - जयपुर से चंडीगढ़
सुबह तैयार हो कर, बाइक पर सारा सामान बाँध कर मैं करीब प्रातकाल 6:20 पर मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर पहुँचा तो मैंने देखा की सत्या पहले से ही वहाँ आ चूका था l शायद उसको घर छोड़ने की बहुत जल्दी थी पर विक्रांत अभी तक नही पहुँचा था l हम दोनों हमारी बाइक पर सामान सही तरह से बाँधने मे लग गए क्योंकि इस मामले मे हम थोड़े से कम अनुभवी थे l कुछ ही देर मे विक्रांत भी आ गया, वो रास्ते मे पेट्रोल भरवाने रुक गया था l हम तीनों ने एक बार फिर सामान सही तरह से बाँधने मे एक दुसरे की मदद की l कुछ लोग हमारे पास आये, हमारी यात्रा के बारे मे पूछा और हमारी यात्रा के लिए शुभकामनाये भी दी l हमने भगवान गणेश से अपनी यात्रा अच्छी होने की प्रार्थना की, कुछ फ़ोटोज़ लिए और यात्रा आरम्भ की l जब भी किसी महत्वपूर्ण यात्रा को आरम्भ करते है तो ये पल बहुत विशेष लगता है क्योंकि इस पल आपका उत्साह चरम पर होता है l हमे मोती डूंगरी से राजा पार्क होते हुए ट्रांसपोर्ट नगर से दिल्ली रोड पर जाना था परन्तु जैसे ही हम दिल्ली रोड पहुँचे, वहाँ पर बड़ी संख्या मे पुलिस बल तैनात था और पुलिस ने हमे आगे जाने से रोक दिया l दिल्ली रोड पर आगे सांप्रदायिक तनाव के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया था l
“ये क्या हुआ, इस यात्रा पर एक के बाद एक बाधाएँ क्यों आ रही है ?” मेरे मन मे विचार आया और आता भी क्यों नहीं क्योंकि पहले भी
मेरी बाइक मे एक के बाद एक बार बार समस्या आ रही थी l खैर, यात्रा के आरंभ होते ही इस घटना से हम तीनों थोडा विचलित हुए परन्तु इन सब विचारों के ऊपर काबू पाते हुए हमने दूसरा मार्ग
लिया जिससे हमारा लगभग आधा घंटा ख़राब हो गया और लगभग सुबह साढ़े सात बजे हम जयपुर-दिल्ली हाईवे पर पहुँचे l
अब हमारे सामने खुली सड़क
थी, रोज़मर्रा की आपाधापी से दूर ये सुबह बहुत खुबसूरत लग रही थी, मौसम सुहावना था और दिल मे जोश था तो हमने मौके का फायदा
उठाया और लगभग 150 किलोमीटर पर बहरोड़ से आगे
पहला ब्रेक लिया क्योंकि अब हमे भूख भी लगने लगी थी l NH8 पर एक सड़क किनारे स्तिथ ढ़ाबे पर हमने
नाश्ते मे आलू के पराँठे और दही खाया l साथ बैठकर आगे की यात्रा का हिसाब किताब लगाया तो लगा कि
हम आराम से शाम पाँच बजे तक चंडीगढ़ पहुँच जाने चाहिए l थोड़ी देर
सुस्ताने के बाद हम दुबारा रवाना हो गए l कुछ देर बाद हम NH8 से NH352 पर आ गए
क्योंकि हम दिल्ली के यातायात से पूरी तरह से बचना चाहते थे l
हम रोहतक होते हुए गोहाना पहुँच गए और यहाँ हमने चाय पी l गोहाना की जलेबियाँ बहुत प्रसिद्द है तो हमने सोचा क्यों ना चख ली जाएँ पर उनकी आकृति देख कर हमारी जलेबी खाने की इच्छा ख़त्म हो गयी l चाय पी कर हम फिर रवाना हो गए और पानीपत, होते हुए करनाल पहुँचे l हमने एक-दो जगह 10-15 मिनट के ब्रेक लिए क्योंकि लगातार बाइक पर बैठे बैठे ऐसा लगता था की कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न सा पड़ने लगा है, ये इसीलिए हो रहा था कि हमारे शरीर को ज्यादा देर बाइक पर बैठने की आदत नही थी l इस मार्ग पर सड़क बहुत अच्छी है तथा बहुत सारे पेट्रोल पंप है जो कि एहसास कराते है की आप हरियाणा मे है l मार्ग अच्छा है तो टोल भी बहुत है और चूँकि हम बाइक से यात्रा कर रहे थे तो हमे टोल से कोई लेना-देना नही था l जैसे ही हम किसी टोल से निकलते, अन्दर से एक ख़ुशी का एहसास होता था क्योंकि समय के साथ साथ पैसे भी बच रहे थे l करनाल से आगे निकल कर हमने कड़क चाय पी क्योंकि हमे भूख बिलकुल भी नही लग रही थी, सुबह के खाए हुए आलू के परांठे अभी तक पेट मे ताज़े ही लग रहे थे l
हम रोहतक होते हुए गोहाना पहुँच गए और यहाँ हमने चाय पी l गोहाना की जलेबियाँ बहुत प्रसिद्द है तो हमने सोचा क्यों ना चख ली जाएँ पर उनकी आकृति देख कर हमारी जलेबी खाने की इच्छा ख़त्म हो गयी l चाय पी कर हम फिर रवाना हो गए और पानीपत, होते हुए करनाल पहुँचे l हमने एक-दो जगह 10-15 मिनट के ब्रेक लिए क्योंकि लगातार बाइक पर बैठे बैठे ऐसा लगता था की कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न सा पड़ने लगा है, ये इसीलिए हो रहा था कि हमारे शरीर को ज्यादा देर बाइक पर बैठने की आदत नही थी l इस मार्ग पर सड़क बहुत अच्छी है तथा बहुत सारे पेट्रोल पंप है जो कि एहसास कराते है की आप हरियाणा मे है l मार्ग अच्छा है तो टोल भी बहुत है और चूँकि हम बाइक से यात्रा कर रहे थे तो हमे टोल से कोई लेना-देना नही था l जैसे ही हम किसी टोल से निकलते, अन्दर से एक ख़ुशी का एहसास होता था क्योंकि समय के साथ साथ पैसे भी बच रहे थे l करनाल से आगे निकल कर हमने कड़क चाय पी क्योंकि हमे भूख बिलकुल भी नही लग रही थी, सुबह के खाए हुए आलू के परांठे अभी तक पेट मे ताज़े ही लग रहे थे l
चाय के बाद रवाना हो कर हम
कुरुक्षेत्र होते हुए अम्बाला पहुँच गए l वहाँ हमारे मन मे
विचार आया की चलो एक एक लस्सी पी ली जाए, इस बहाने थोडा
आराम भी मिल जाएगा सो हम एक सड़क किनारे ढ़ाबे पर रुक गए और लस्सी का आर्डर दे दिया l वहाँ पर मैंने और विक्रांत ने सत्या को इस पूरी यात्रा का
खजाँची नियुक्त कर दिया और पूरी यात्रा के रुपए-पैसे का हिसाब रखने के लिए राज़ी कर
लिया हालाँकि सत्या ने इसका विरोध किया परन्तु आखिर मे मैंने और विक्रांत ने उसे
मना ही लिया l लस्सी का बिल 150
रुपए आया तो सत्या का दिमाग सटक गया और उसने ढ़ाबे वाले को बोला कि हमारे जयपुर मे
तो बीस-पच्चीस रुपए की लस्सी मिलती है l इस पर ढ़ाबे वाले
ने जवाब दिया कि भाई साहब ये ऐसी वैसी लस्सी नही है, ये अम्बाला की प्रसिद्ध लस्सी
है, जिस पर हम सबने खूब ठहाके लगाये क्योंकि वो लस्सी हमे जयपुर मे बनने वाली लस्सी की तुलना मे बहुत साधारण सी लगी l किसी शहर की कोई चीज़ प्रसिद्द हो जाती है तो चाहे बनानी आये या ना आये पर चौथाई शहर की रोज़ी रोटी उस पर निर्भर हो ही जाती है l
लस्सी पीने के बाद हम वहाँ से रवाना हो गए और हमने निश्चय किया की अब सीधे होटल ही रुकेंगे l चंडीगढ़ मे होटल हमने पहले ही इन्टरनेट से बुक करवा ली थी l शाम होते होते यातायात बहुत बढ़ गया था जो की हमे एहसास दिला रहा था कि अब मंजिल दूर नही है l ये हम तीनों की बाइक पर अब तक की सबसे लंबी यात्रा थी, हालाँकि हम बहुत थका हुआ महसूस कर रहे थे पर फिर भी हम खुश थे कि हम भली भांति चंडीगढ़ पहुँच गए थे क्योंकि एक बात जो कि हम तीनों को ही उस दिन असामान्य लग रही थी, वो थी कि हमे उस पुरे दिन में 4-5 जगह बड़ी सड़क दुर्घटना देखने को मिली वो भी हमारे दुर्घटना स्थल पहुँचने से कुछ पल पहले l
हम शाम करीबन छ बजे होटल पहुँच गए l पूरे दिन बाइक चलाने के बाद बाइक से सामान उतारने मे भी बहुत जोर आ रहा था l असल मे हम तीनों के पास दो-दो बैग थे l एक बड़ा जिसमे हमारी सारी यात्रा का सामान था और दूसरा छोटा जिसमे हम ऐसा सामान रखते थे जो की हम फटाफट निकाल सकें जैसे – कैमरा, चार्जर, पॉवर-बैंक, जरुरी कागजात इत्यादि l दोनों बैग बाइक पर लगाने के बाद हम उनको बैंजी कोर्ड्स (एक तरह की इलास्टिक की रस्सी जिस के दोनों और हुक होते है) के द्वारा हमारी बाइक पर कस कर बांध देते थे l सामान को रोज़ उतारने और बांधने मे हमारी अच्छी खासी कसरत हो जाया करती थी l खैर, होटल का कर्मचारी हमारे सामान को कमरे मे रख गया था l हमारा कमरा काफी अच्छा और साफ़ सुथरा था l कुछ देर आराम करने के बाद हम नहा लिए l नहाने के बाद सारी थकान जैसे गायब सी हो गयी l सारे दिन बाइक चलाने के बाद हमारी दुबारा बाइक चलाने की इच्छा बिलकुल भी नही थी इसीलिए हम पैदल ही आस पास घुमने निकल गए और एक अच्छे से रेस्टोरेंट पर खाना खाया l
रात को सोने से पहले हमने अगले दिन की रूपरेखा तैयार की l अगले दिन यानी 10 सितम्बर को हमे मनाली जाना था l हमने निश्चय किया की हमे सुबह जल्दी निकलना होगा और उसका कारण था कि हमे मनाली से कुछ जरुरी सामान खरीदना था जैसे कि वाटरप्रुफ दस्ताने और जूते जो की हमे पानी और ठण्ड से बचा सकें, पेट्रोल रखने के लिए कैन इत्यादि l इन सब जरुरी सामान के बिना हम मनाली से आगे नही बढ़ सकते थे l अगले दिन हमको पहाड़ों मे बाइक चलानी थी जिसका अलग ही रोमाँच है l ऐसे ही रोमांचक पलों की बात करते करते कब सो गए पता ही नही चला l
लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1. लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2. लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4. लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5. लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6. लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9. लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर
लस्सी पीने के बाद हम वहाँ से रवाना हो गए और हमने निश्चय किया की अब सीधे होटल ही रुकेंगे l चंडीगढ़ मे होटल हमने पहले ही इन्टरनेट से बुक करवा ली थी l शाम होते होते यातायात बहुत बढ़ गया था जो की हमे एहसास दिला रहा था कि अब मंजिल दूर नही है l ये हम तीनों की बाइक पर अब तक की सबसे लंबी यात्रा थी, हालाँकि हम बहुत थका हुआ महसूस कर रहे थे पर फिर भी हम खुश थे कि हम भली भांति चंडीगढ़ पहुँच गए थे क्योंकि एक बात जो कि हम तीनों को ही उस दिन असामान्य लग रही थी, वो थी कि हमे उस पुरे दिन में 4-5 जगह बड़ी सड़क दुर्घटना देखने को मिली वो भी हमारे दुर्घटना स्थल पहुँचने से कुछ पल पहले l
हम शाम करीबन छ बजे होटल पहुँच गए l पूरे दिन बाइक चलाने के बाद बाइक से सामान उतारने मे भी बहुत जोर आ रहा था l असल मे हम तीनों के पास दो-दो बैग थे l एक बड़ा जिसमे हमारी सारी यात्रा का सामान था और दूसरा छोटा जिसमे हम ऐसा सामान रखते थे जो की हम फटाफट निकाल सकें जैसे – कैमरा, चार्जर, पॉवर-बैंक, जरुरी कागजात इत्यादि l दोनों बैग बाइक पर लगाने के बाद हम उनको बैंजी कोर्ड्स (एक तरह की इलास्टिक की रस्सी जिस के दोनों और हुक होते है) के द्वारा हमारी बाइक पर कस कर बांध देते थे l सामान को रोज़ उतारने और बांधने मे हमारी अच्छी खासी कसरत हो जाया करती थी l खैर, होटल का कर्मचारी हमारे सामान को कमरे मे रख गया था l हमारा कमरा काफी अच्छा और साफ़ सुथरा था l कुछ देर आराम करने के बाद हम नहा लिए l नहाने के बाद सारी थकान जैसे गायब सी हो गयी l सारे दिन बाइक चलाने के बाद हमारी दुबारा बाइक चलाने की इच्छा बिलकुल भी नही थी इसीलिए हम पैदल ही आस पास घुमने निकल गए और एक अच्छे से रेस्टोरेंट पर खाना खाया l
रात को सोने से पहले हमने अगले दिन की रूपरेखा तैयार की l अगले दिन यानी 10 सितम्बर को हमे मनाली जाना था l हमने निश्चय किया की हमे सुबह जल्दी निकलना होगा और उसका कारण था कि हमे मनाली से कुछ जरुरी सामान खरीदना था जैसे कि वाटरप्रुफ दस्ताने और जूते जो की हमे पानी और ठण्ड से बचा सकें, पेट्रोल रखने के लिए कैन इत्यादि l इन सब जरुरी सामान के बिना हम मनाली से आगे नही बढ़ सकते थे l अगले दिन हमको पहाड़ों मे बाइक चलानी थी जिसका अलग ही रोमाँच है l ऐसे ही रोमांचक पलों की बात करते करते कब सो गए पता ही नही चला l
मोती डूंगरी गणेश मंदिर पर प्रातकाल रवाना होने से पहले |
ढ़ाबा जहाँ हम नाश्ते के लिए रुके थे |
इन भाई साहब को टेम्पो की क्या जरुरत ! |
पंजाबी ढाबे की प्रसिद्ध लस्सी ;) |
चंडीगढ़ का होटल जहाँ हम रुके थे |
लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1. लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2. लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
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5. लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6. लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9. लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
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15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर
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