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Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 18 सितम्बर - लेह शहर

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लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 18 सितम्बर - लेह शहर

आज का तो पूरा दिन ही हमने लेह शहर और खरीदारी के नाम कर रखा था इसीलिए हम सुबह आराम से उठे l बहुत धीरे धीरे, फुर्सत से चाय पी, नहाये – धोये और करीबन सुबह के ग्यारह- साढ़े ग्यारह बजे लेह का बाज़ार घुमने निकले l हालाँकि अधिकतर बाज़ार खुल गया था पर फिर भी कुछ दुकाने अभी भी खुल रही थी l आज हमने सुबह ही ये निर्णय ले लिया था कि नाश्ता बाहर ही करेंगे सो बाज़ार मे हम खाने पीने का सामान तलाश रहे थे l इसी बीच घूमते हुए एक दुकान दिखी जिस पर गर्म गर्म समोसे बन रहे थे l जयपुर मे तो हर थोड़े दिनो बाद समोसे कचौरी खा ही लिया करते है पर जब से इस यात्रा पर आये तब से हमने समोसे कचौरी नही खाए थे इसीलिए गर्म गर्म समोसे बनते देख मुह मे पानी आ गया l समोसे काफी अच्छे थे और हमने देखा की वैसे तो समोसा इस क्षेत्र का व्यंजन नही है फिर भी वहाँ के लोग भी इसे खाना पसंद करते है l समोसे के बाद चाय का लुत्फ़ उठाया तो सारा मज़ा किरकिरा हो गया l समोसे तो स्वादिस्ट थे पर चाय बहुत ही खराब थी क्योंकि दुकान वाले के पास दूध नही था तो उसने दूध की जगह वो चाय मिल्कमेड से बनायी थी l चाय इतनी बुरी थी की हमने बमुश्किल दो-दो घूँट ही पी l मन मे विचार आया की दुनिया चाय बना बना कर कहाँ से कहाँ पहुँच गयी और इससे ठीक ठाक सी चाय भी नही बन रही l

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समोसे-चाय का नाश्ता करने के बाद हम यहाँ-वहाँ यूँ ही बाज़ार मे टहलते रहे l इधर उधर टहलते हुए हमे एक जगह कश्मीरी रोटी बनती हुई दिखाई दी l बाज़ार के पास की ही एक गली मे एक पुरानी सी दुकान मे बहुत बड़ा तंदूर जल रहा था और कुछ कश्मीरी लोग वहाँ कश्मीरी नान और रोटी बना रहे थे l इसे देख कर हमे भी कश्मीरी नान खाने की इच्छा हुई पर उस दुकान पर सिर्फ कश्मीरी नान और रोटी ही थी, कोई सब्जी इत्यादि नही थी जिसके साथ हम वो नान खा सकें l उनसे बात की तो उन्होंने बताया की ये उनका पुश्तनी काम है और दुकान मे सिर्फ नान और रोटी ही बनती है l लोग ऐसे ही ले जाते है और अपने घर मे बनी हुई सब्जी से खाते है l कोई चीज़ लेने की इच्छा हो और किसी कारणवश वो नही ले पाए तो उसको प्राप्त करने की इच्छा स्वत ही तीव्र हो जाती है l दिल मचल गया और वहीँ पर ये निर्णय लिया गया कि आज तो कश्मीरी खाना ही खायेंगे चाहे कहीं भी जाना पड़े l

अब हमे घरवालों के लिए खरीदारी करनी थी जिससे कि घर पहुँचने पर उनका गुस्सा थोडा कम किया जा सके l कुछ दुकानों मे गए और खरीदारी के विकल्प देखे l वैसे तो वहाँ काफी कुछ मिलता है परन्तु वहाँ की विशेषता है पश्मीना शाल l कुछ दुकानों पर पश्मीना शाल देखे पर हम उनकी कीमत का अंदाजा नही लगा पा रहे थे l भटकते भटकते दोपहर के दो बज गए पर हम कुछ भी नही ले पाए और अब हमे भूख भी लगने लगी थी l चूँकि खाना तो हमे आज कश्मीरी ही था इसीलिए थोड़ी बहुत पूछ-ताछ की तो पता लगा कि बाज़ार मे ही एक बहुत अच्छा कश्मीरी रेस्टोरेंट है l

ये रेस्टोरेंट पहली मंजिल पर और काफी साफ़ सुथरा था l रेस्टोरेंट कश्मीरी संस्कृति के अनुसार बना हुआ था और इसमे बड़ी बड़ी खिड़कियाँ थी जो कि मुख्य बाज़ार की ओर खुलती थी l ऐसी ही एक बड़ी खिड़की के पास लगी हुई टेबल पर हम बैठ गए l इस रेस्टोरेंट की विशेषता थी नॉन-वेज़ खाना जबकि हम वेज़ ही खाने आये थे l वेज़ मे बहुत ज्यादा विकल्प नही थे पर फिर भी हमने दो कश्मीरी सब्जी, कश्मीरी नान और रायता पसंद कर लिए l जैसे ही वेटर ने बताया कि दोनों कश्मीरी सब्जी नही मिल पाएँगी तो हमारा सारा उत्साह ठंडा हो गया l खैर, हमारे पास ज्यादा विकल्प नही थे और हमने अब वेटर की राय के अनुसार ही दो अन्य सब्जियाँ पसंद की, जिनमे से एक तो दाल ही थी l 15-20 मिनट बाद खाना आया और ये पूरी तरह कश्मीरी अंदाज़ मे बना हुआ था l खाने मे कश्मीरी मसालों का उपयोग किया गया था जिससे खाना काफी अलग स्वाद दे रहा था l खाने का आनंद लेने की पश्चात हम दुबारा खरीदारी के लिए निकल गए l

कुछ देर घुमने और तीन- चार दुकानों मे जाने के पश्चात आखिर एक दुकान पसंद आयी l उस दुकान का मालिक काफी जवान बंदा था और उसने हमारी पश्मीना के बारे मे सारी जिज्ञासा शांत की l मैंने, विक्रांत ने और सत्या ने पश्मीना शाल ख़रीदे l खरीदारी करते करते शाम के लगभग पाँच बज गए थे और दुकान वाले ने हमे गुलाबी रंग की कश्मीरी चाय पिलाई जो की लाज़वाब लगी l खरीदारी के बाद शाम लगभग छ बजे हम अपने होटल पहुँच गए और सोचा कि आज रात का खाना हम इसी होटल मे कर लेंगे l

ये शाम हमारे होटल मे गुज़ारने के दो मकसद थे पहला तो ये कि हमे ये निर्णय लेना था कि किस रास्ते से हम जयपुर जाएँगे और दुसरा चूँकि हमे सुबह जल्दी निकलना था तो सोचा की हम हमारा सामान भी जमा लेंगे l सामान जमाते हुए और खाते पीते हुए हमने ये विचार किया कि लेह से जयपुर तक हमे कौनसा रास्ता लेना चाहिए l एक रास्ता तो वही था जिस से हम लेह पहुँचे थे यानी कि लेह से पांग, केलोंग, मनाली, चंडीगढ़ होते हुए जयपुर l दुसरा रास्ता था लेह से कारगिल, सोनमर्ग, श्रीनगर, जम्मू, चंडीगढ़ होते हुए जयपुर l हमे ये सब सोचना पड़ रहा था क्योंकि उन दिनो श्रीनगर मे बहुत तनावपूर्ण माहौल था l काफी सोच विचार के बाद हमने ये निर्णय लिया कि कारगिल-श्रीनगर वाला रास्ता ही सही रहेगा l इस रास्ते से जाने के कई फायदे थे l पहला तो ये कि हमारा सर्किट पूर्ण हो जाएगा, दुसरा चलते वक़्त नया रास्ता देखने को मिलेगा, तीसरा जोज़िला पास भी देख पाएंगे, चौथा सड़क लगभग पूरी ही अच्छी स्तिथि मे है एक जोज़िला पास को छोड़कर, पाँचवा डल झील भी देख पाएंगे l हमने सोचा कि केवल एक श्रीनगर के तनावपूर्ण होने से हमे ये रास्ता नही छोड़ना चाहिए और अगर कुछ ज्यादा तनाव मिला तो हम श्रीनगर बाईपास से निकल जाएँगे l रात के लगभग दस बजे होटल के ही रेस्टोरेंट मे गए, खाना खाया और सो गए l लेह मे ये हमारी आखिरी रात थी l


 
Leh Ladakh Bike Trip
लेह का बाज़ार

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लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1.   लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2.   लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3.   लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4.   लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5.   लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8.   लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9.   लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर

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