Bike Trip To Leh Ladakh | लेह लद्दाख़ यात्रा - 11 सितम्बर - मनाली से केलोंग
लेह लद्दाख़ यात्रा 2017 - 11 सितम्बर - मनाली से केलोंग
आज सुबह उठने की ज्यादा जल्दी नही थी क्योंकि आज हमे सिर्फ 115 किलोमीटर ही जाना था और रोहतांग से आगे जाने का परमिट हमने इन्टरनेट से पहले ही ले रखा था l हमने हमारा मनाली वाला होटल भी नाश्ते के साथ ही बुक करवाया हुआ था और हमे मालुम था की नाश्ता लगते लगते सुबह के नौ - साढ़े नौ बज ही जाएँगे l नहा-धो कर हम सब ने पहले अपना सामान बाइक पर बाँधा और नाश्ता करने पहुँचे l नाश्ता कुछ खास स्वादिष्ट नहीं था और नाश्ता करते वक़्त उत्साह के साथ साथ बैचनी भी महसूस हो रही थी, बैचनी ऐसी जैसी की किसी बड़ी परीक्षा से पहले होती है l ये शायद इसलिए था कि हम इस यात्रा पर पहली बार आये थे और आगे होने वाली घटनाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ थे l इस यात्रा के बारे मे इतना कहा और सुना गया था कि जब असल मे इस यात्रा को शुरु करने का समय आया तो उत्साह के साथ साथ हमारी बैचनी भी बढ़ गयी थी l खैर, नाश्ता करके हम होटल से रवाना हो गए lहमारी इस लेह लद्दाख़ यात्रा को आरम्भ से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
होटल से निकलते ही हम पेट्रोल पंप पहुँचे l वहाँ हम सबने पहले अपनी बाइक की पेट्रोल की टंकी फुल करवाई और हमारे अतिरिक्त पेट्रोल के केन, जो की 5-5 लीटर के थे, वो भी भरवा लिए l हमे मालुम था की पेट्रोल केन को हमे बाइक पर बाँधना होगा इसीलिए हम रस्सी भी साथ ही लाये थे l पेट्रोल का केन सबसे आसानी से सत्या की बाइक मे बंध गया क्योंकि उसकी बाइक मे पीछे की तरफ जाली थी और पैर रखने के लिए अच्छा खासा चौड़ा स्टैंड था l विक्रांत की एवेंजर पर साइड मे जगह नही थी तो उसकी बाइक की टेल लाइट के ऊपर खाली जगह पर अच्छी तरह से पेट्रोल केन को बाँध दिया गया l मेरी बाइक मे कहीं भी हमे ऐसी जगह नहीं दिख रही थी जहाँ पर हम पेट्रोल केन बाँध सकें l काफी देर सोच विचार के बाद हमने ये निर्णय लिया की सत्या की बाइक पर ही दूसरा केन भी बाँध दिया जाए क्योंकि सत्या की बाइक पर एक केन होने के बाद भी हमे वहाँ जगह दिख रही थी l हमारा निर्णय सही निकला, दूसरा केन भी आसानी से सत्या की बाइक पर समायोजित हो गया l सत्या ने इस बात पर मेरी बाइक का मजाक उड़ाया और बोला की इतनी महँगी बाइक होने के बावजूद इसमें जगह की कमी है l सत्या की बाइक 125 CC की थी और अब आगे चढ़ाई ही चढ़ाई थी तो सत्या का एक बैग मैंने अपनी बाइक पर बाँध लिया l
पेट्रोल पंप पर
ही हमने एक-एक डिअमोक्स का टेबलेट लिया l बहुत ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा
कम हो जाती है और अगर हम बहुत ज्यादा ऊँचाई पर कम समय मे पहुँचते है तो हमारा
शरीर इसका अभ्यस्थ नही हो पाता है जिससे हमे कई तरह की समस्याओं का सामना करना
पड़ता है जैसे जी मिचलाना, सर दर्द होना, बहुत ज्यादा थकान होना इत्यादि l
डिअमोक्स टेबलेट हमारे शरीर को इन सब समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है l
पेट्रोल पंप से निकल कर हमने हमारी बाइक्स के पहियों मे हवा भरवाई l हमने हवा
निर्धारित मात्रा से थोड़ी ज्यादा भरवाई चूँकि हम नही चाहते थे की कोई भी बाइक
पंक्चर हो जाए हालाँकि हम पंक्चर का सामान साथ ही ले गए थे परन्तु इतनी ऊँचाई पर पंक्चर
लगाना भी अपने आप मे बहुत बड़ा काम हो जाता है l
अंत मे, हवा
भरवा कर हम सब मनाली से रवाना हो गए और वो पल आ गया था जिसका हम सब पिछले कई
महीनों से इंतज़ार कर रहे थे l जैसे ही आप मनाली से रोहतांग के लिए निकलते है,
प्रकृति आपके लिए एक से एक खूबसूरत नज़ारे पेश करती है और मन होता है कि हर स्थान
पर कुछ देर रुका जाए l कुछ दूर जाने के बाद गुलाबा पुलिस चेकपोस्ट आता है जहाँ कि आपको
अपने कागजात जैसे इस यात्रा के लिए लिया गया परमिट, आपका ड्राइविंग लाइसेंस, आपकी
बाइक का रजिस्ट्रेशन, पोलुशन इत्यादि दिखाने होते है l अपने कागजात दिखाने के बाद
हम तीनों केलोंग के लिए रवाना हो गए और रास्ते मे पड़ने वाला रोहतांग हमारे लिए
पहला पास था l चढ़ाई के दौरान दूर चढ़ते हुए और उतरते हुए वाहन दिखाई देते है जो कि इतने छोटे छोटे दिखाई देते है जैसे की बच्चो के छोटे छोटे खिलोने
हो l मनाली से रोहतांग जाने पर ऊँचाई बहुत जल्दी जल्दी बढती है l हालाँकि सड़क संकरी थी
परन्तु हमारे पास बाइक होने के कारण हम आराम से चढ़ते जा रहे थे l जल्द ही हमे एक
झरना दिखाई दिया जो कि सड़क के किनारे ही था l वहाँ पर काफी संख्या मे लोग झरने के
सामने तस्वीरें खीचने का आनंद ले रहे थे l पूरे रास्ते के दौरान हमे कई जल-प्रताप
दिखे परन्तु वो काफी दूर थे और वहाँ तक जाने का कोई रास्ता भी नहीं था l कुछ
खुबसूरत जगह पर हम भी रुके तथा प्रकृति का आनंद उठाया l
जल्दी ही प्रकृति
के रंग बदलने लग गए और हरियाली कम होने लग गयी l हरा रंग, भूरे रंग मे तब्दील होने
लग गया l बड़े बड़े पेड़ गायब हो गए और उनकी जगह बहुत हल्की-हल्की घास ने ले ली
और वो भी ठण्ड के कारण भूरे रंग में बदल गयी थी l पहाड़, जो की हरियाली से आच्छादित
थे, अब उनका मूल स्वरुप दिखने लग गया था l दोपहर करीब एक बजे के आस पास हम रोहतांग
पहुँच गए l रोहतांग पास लगभग 13,051 फीट की ऊँचाई पर स्थित है l रोहतांग को मैं
पहचान ही नही पाया क्योंकि पिछली बार जब मैं जून मे यहाँ आया था तब यहाँ बर्फ ही बर्फ
थी परन्तु इस बार यहाँ- वहाँ थोड़ी बहुत ही बर्फ थी l कुछ पल रोहतांग मे बिताने के बाद हम फिर रवाना
हो गए l
रोहतांग पार करते ही ढलान चालू हो गयी और हम नीचे की तरफ उतरने लग गए l मनाली से अब तक सड़क बहुत अच्छी थी पर कुछ ही देर मे अच्छी सड़क गायब हो गयी और उबड़-खाबड़ सड़क आरम्भ हो गयी l रोहतांग तक तो मौसम भी अच्छा था परन्तु अचानक ही मौसम भी बदलने लग गया l हमे लगने लगा की जल्दी ही बारिश आ सकती है इसीलिए हमे जल्द ही किसी महफूज़ जगह पहुँचना चाहिये l हमने थोडा जल्दी चलने की कोशिश की और हम खोक्सर पहुँच गए l वहाँ पर एक छोटा सा ढाबा था और ढ़ाबे के बाहर बहुत सारी बाइक्स खडी थी l ये सब भी हमारी तरह ही थे और ख़राब मौसम के कारण आगे नही बढ़ रहे थे l हम भी उस ढ़ाबे पर रुक गए l कुछ ही देर मे जबरदस्त बारिश चालू हो गयी जो की करीब 40-45 मिनट चली l पहाड़ों में अचानक ही कभी भी बारिश हो जाती है ये मैंने सुना बहुत था परन्तु देखा आज पहली बार l बारिश के दौरान हमने चाय, मैग्गी और आमलेट का लुत्फ़ उठाया l
रोहतांग पार करते ही ढलान चालू हो गयी और हम नीचे की तरफ उतरने लग गए l मनाली से अब तक सड़क बहुत अच्छी थी पर कुछ ही देर मे अच्छी सड़क गायब हो गयी और उबड़-खाबड़ सड़क आरम्भ हो गयी l रोहतांग तक तो मौसम भी अच्छा था परन्तु अचानक ही मौसम भी बदलने लग गया l हमे लगने लगा की जल्दी ही बारिश आ सकती है इसीलिए हमे जल्द ही किसी महफूज़ जगह पहुँचना चाहिये l हमने थोडा जल्दी चलने की कोशिश की और हम खोक्सर पहुँच गए l वहाँ पर एक छोटा सा ढाबा था और ढ़ाबे के बाहर बहुत सारी बाइक्स खडी थी l ये सब भी हमारी तरह ही थे और ख़राब मौसम के कारण आगे नही बढ़ रहे थे l हम भी उस ढ़ाबे पर रुक गए l कुछ ही देर मे जबरदस्त बारिश चालू हो गयी जो की करीब 40-45 मिनट चली l पहाड़ों में अचानक ही कभी भी बारिश हो जाती है ये मैंने सुना बहुत था परन्तु देखा आज पहली बार l बारिश के दौरान हमने चाय, मैग्गी और आमलेट का लुत्फ़ उठाया l
ढ़ाबे पर हमने
रेनकोट, वाटरप्रूफ जूते पहन लिए क्योंकि हमे आगे केलोंग तक कहीं भी बारिश मिल सकती थी
l तैयार होने के बाद हम सब केलोंग के लिए रवाना हो गए l कुछ ही देर मे मौसम साफ़
हो गया और सुहावनी धुप निकल आयी l सड़क की हालत भी बहुत अच्छी हो गयी थी और हमे चेनाब
नदी के किनारे किनारे चलने मे बहुत आनंद आ रहा था l अब हम तांडी पहुँच गए थे जहाँ
की मनाली-लेह हाईवे पर आखिरी पेट्रोल पंप था, अगला पेट्रोल पंप 365 किलोमीटर दूर था l इस
पेट्रोल पंप पर सभी रूककर अपनी गाडी का पेट्रोल टैंक जरुर फुल करवाते हैं, खासकर
मोटरसाइकिल वाले l हमने भी हमारी बाइक्स का पेट्रोल टैंक फुल करवा लिया l हमे मालुम
था की सत्या और विक्रांत की बाइक तो पक्का लेह पहुँच जाएगी परन्तु मैं मेरी बाइक को लेकर आश्वश्त नही था l चूँकि इस इलाके मे पेट्रोल का कुछ पता नही रहता इसीलिए हमने 5-5 लीटर के पेट्रोल केन अपने साथ पहले ही ले लिए थे l
तांडी से केलोंग ज्यादा
दूर नही है और हम शाम करीब 6 बजे के आस पास केलोंग पहुँच गए l केलोंग एक छोटा सा
गाँव है जो की लगभग 10,100 फीट की ऊँचाई पर स्थित है l मुख्य सड़क के दोनों तरफ छोटे
छोटे होटल-ढ़ाबे बने हुए है l हमने एक होटल मे एक कमरा ले लिया l हमारा कमरा दूसरी
मंजिल पर था और कमरे की खिड़की मुख्य सड़क की ओर खुलती थी l होटल के ही पास एक खाली
दुकान थी जिसमे हमने हमारी बाइक खडी कर दी थी l शाम तक पहुँचते पहुँचते वातावरण मे
ठंडक हो गयी थी l हम सबने गर्म पानी से मुहँ-हाथ धोये और केलोंग की मुख्य सड़क पर
घुमे l हमारे होटल के सामने ही छोटा सा ढाबा था जिसमे हमने रात का खाना खाया l
खाना घर का बना हुआ और बहुत स्वादिष्ट था l खाना खाने के पश्चात हमने थोड़ी देर
चहलकदमी की और अपने अपने घर पर बात की क्योंकि केलोंग के बाद हमारा मोबाइल काम नही करने वाला था l
जम्मू और कश्मीर मे BSNL की पोस्टपेड सिम चलती है और हम तीनों के ही पास BSNL की पोस्टपेड सिम नही थी l अब चूँकि केलोंग के बाद हमारा फ़ोन काम
नही करने वाला था तो हमने एक प्रोटोकॉल बनाया l प्रोटोकॉल के अनुसार हम तीनों एक दुसरे से ज्यादा दूर
नही चलेंगे, जो भी आगे चलेगा वो हर थोड़ी देर मे अपने बाइक के शीशे मे दुसरे को
देखेगा और अगर उसको कुछ नही दिखता है तो वो रुक जाएगा जब तक की दूसरा व्यक्ति वहाँ
ना पहुँच जाए l इस प्रोटोकॉल का हमने हमारी पूरी यात्रा के दौरान पालन किया l रात
होते होते ठंडक बढ़ गयी और हम सब अपने अपने गर्म बिस्तर मे सो गए l
मनाली के होटल से बाहर का दृश्य |
मनाली की खुबसूरत सुबह |
मनाली |
रोहतांग की ओर बढ़ते हुए |
रोहतांग के नजदीक का भूभाग |
हम तीनों |
पहाड़ों को अपने आगोश मे लेते हुए बादल |
रोहतांग के बाद अचानक आये बादल |
केलोंग के पास खुबसूरत दृश्य |
केलोंग के पास खुबसूरत दृश्य |
केलोंग मे घर सा बना हुआ रात का खाना |
लेह लद्दाख़ यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
1. लेह लद्दाख़ यात्रा - प्रस्तावना
2. लेह लद्दाख़ यात्रा - जयपुर से चंडीगढ़
3. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से मनाली
4. लेह लद्दाख़ यात्रा - मनाली से केलोंग
5. लेह लद्दाख़ यात्रा - केलोंग से पांग
6. लेह लद्दाख़ यात्रा - पांग से लेह
7. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह, संगम, गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब और मेग्नेटिक हिल
8. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से पंगोंग लेक
9. लेह लद्दाख़ यात्रा - पंगोंग लेक से नुब्रा वैली
10. लेह लद्दाख़ यात्रा - नुब्रा वैली से लेह वाया खारदुन्गला पास
11. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह शहर
12. लेह लद्दाख़ यात्रा - लेह से सोनमर्ग
13. लेह लद्दाख़ यात्रा - सोनमर्ग से जम्मू
14. लेह लद्दाख़ यात्रा - जम्मू से चंडीगढ़
15. लेह लद्दाख़ यात्रा - चंडीगढ़ से जयपुर
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