स्पिति वैली यात्रा - 01 जून 2019 - चंडीगढ़ से नारकंडा
रात को नींद बहुत अच्छी आई और सुबह लगभग छ बजे के आस पास हम उठ गए l चाय पी और फिर नहा-धो कर सुबह के करीबन सात बजे के आस पास हम तैयार हो गए l होटल से निकलने से पहले रजत, राजेश और अश्वनी (टीम अश्वनी) से फ़ोन से बात हुई तो पता लगा की उनकी ट्रेन बिलकुल सही समय पर चल रही है और वो लोग साढ़े सात बजे तक चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुँच जाएँगे l विक्रांत और मैं भी बाइक पर सामान बाँध कर होटल से लगभग साढ़े सात बजे रवाना हो गए l
कुछ ही देर में हम कालका-शिमला हाईवे पर थे l हाईवे पर पहुँचने के बाद हमने टीम अश्वनी से संपर्क किया तो पता चला की टीम अश्वनी भी इसी हाईवे पर पहुँच चुकी थी l टीम अश्वनी एक सफ़ेद इनोवा मे ड्राईवर सोनू के साथ थी और कुछ ही देर बाद हम सब हाईवे पर एक जगह पर मिल गए l पराये देस में अपनों के साथ मिलना-जुलना अलग ही मज़ा देता है, दुआ-सलाम के बाद हम सबने निर्णय लिया की किसी होटल में चल कर चाय-नाश्ता कर लिया जाए l विक्रांत और मैं तो होटल से ही चाय पी कर और नहा-धो कर निकले थे लेकिन टीम अश्वनी ने सुबह की चाय तक भी नहीं पी थी l यूँ तो चाय काफी साधारण सा पेय प्रतीत होता है पर कुछ लोगों के लिए चाय नहीं तो दिन की शुरुआत नहीं l
सुबह के करीबन साढ़े-आठ बजे हम जिब्ली स्तिथ एक होटल पहुँचे और वहाँ हमने चाय ली और अश्वनी के घर से लाये हुए शानदार पराँठों का लुत्फ़ उठाया l चाय ने अपना काम किया और टीम अश्वनी कुछ ही समय में हाथ-मुँह धो कर तरों-ताज़ा हो गयी l टीम अश्वनी को नारकंडा में हाटू होम स्टे में रुकना था इसीलिए विक्रांत ने भी कमरे के लिए फ़ोन से हाटू होम स्टे से संपर्क किया और हाटू होम स्टे हमे एक और कमरा देने को राज़ी हो गया l चाय-नाश्ते के बाद लगभग दस बजे हम सब नारकंडा के लिए निकल गए l चंडीगढ़ से नारकंडा की दुरी है लगभग 175 किलोमीटर इसीलिए हमे कोई ज्यादा जल्दी नहीं थी और हम रास्ते का आनंद उठाते हुए ही पहुँचना चाहते थे l
परवानु के बाद पहाड़ों के रास्ते चालू हो गए, धुप तो तेज़ थी पर पिछले दिन हमारी जयपुर से चंडीगढ़ की यात्रा की तुलना में गर्मी बहुत कम थी इसीलिए हमे काफी राहत महसूस हो रही थी l यूँ तो हम सब बिलकुल साथ चलना चाह रहे थे लेकिन एक चौपहिया और दोपहिया पहाड़ी रास्तों में साथ नहीं चल पाते क्योंकि जाम की स्तिथि में बाइक तो कहीं से भी निकल जाती है परन्तु गाडी को निकलने में समय लग ही जाता है l धर्मपुर, सोलन होते हुए लगभग बारह बजे विक्रांत और मैं शिमला पहुँच गए और शिमला बाईपास होते हुए नारकंडा की ओर निकल गए l टीम अश्वनी हमारे कुछ ही किलोमीटर पीछे थी l
शिमला से निकलने के बाद हरियाली बढ़ गयी l रास्ते में कुछ पहाड़ ऐसे देखने को मिले कि लोगों ने पहाड़ के बिलकुल शिखर तक घर बना रखे है और ऐसे घर देख कर विचार आता था कि आखिर इतनी ऊँचाई पर घर कैसे बनाया गया होगा और वहाँ इतनी ऊपर रहने में कैसा लगता होगा l कुफरी पहुँच कर और वहाँ की जबरदस्त हरियाली देख कर मन प्रसन्न हो गया, चारों ओर हरे हरे ऊँचे ऊँचे पेड़ और बीच में बस एक सड़क l
विक्रांत और मैं कुछ देर कुफरी के नजारों का आनंद लेते रहे और आगे की यात्रा के लिए टीम अश्वनी का इन्तिज़ार करने लगे l इसी बीच उनका फ़ोन आया और उन्होंने हमे खाने के लिए पतिंगली स्तिथ शेरे-पंजाब ढाबे पर बुलाया जो की हम पीछे छोड़ आये थे l ड्राईवर सोनू को पता था की हमे क्या अच्छा लगेगा इसीलिए उसने उसी हिसाब से ढाबे का चुनाव किया था l यक़ीनन ये चुनाव अच्छा था, खाना बहुत ही शानदार था l उस ढाबे की लोकेशन बहुत ही अच्छी थी, उसके पीछे हरियाली से आच्छादित खुबसूरत वैली थी इसीलिए हम सबने बाहर ही बैठ कर खाना खाया l
खाना खाने के बाद हम सब एक बार फिर नारकंडा के लिए रवाना हो गए l जैसे जैसे हम आगे बढ़ते रहे, रास्ते की खूबसूरती बढती चली गयी l पहाड़ों में काफी जगह पर सेव के बाग़ थे और उन सेव के पेड़ों को किसी भी नुक्सान के होने की आशंका में अच्छी तरह ढका गया था, ये काफी अलहदा नज़ारा था l बरोग, ठियोग, चंडी होते हुए, रुकते-रुकाते, फ़ोटोज़ लेते हुए हम शाम के लगभग पाँच बजे हाटू होम स्टे पहुँच गए l ये होम स्टे नारकंडा मुख्य कस्बे से कुछ दूर और अलग जा कर बना हुआ था l
हाटू होम स्टे पहुँच कर जब हमने हमारे कमरे के लिए पूंछा तो अंकल जी साफ़ साफ़ मुकर गए l विक्रांत ने अंकल को याद दिलाया की आज सुबह ही आपने फ़ोन पर कमरे के लिए हामी भरी थी पर अंकल जी मानने को तैयार नहीं हुए l अब विक्रांत और मेरी, रजत, राजेश, अश्वनी के साथ रुकने की योजना धूमिल होती दिखाई दे रही थी, इतने में ही रजत, राजेश और अश्वनी भी वहाँ पहुँच गए l आखिरकार कुछ देर और मिन्नतें करने के बाद अंकल हमे कमरा देने को राज़ी हो गए लेकिन उन्होंने विक्रांत और मुझे नीचे का कमरा दिया और रजत, राजेश,अश्वनी का कमरा ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर था l हमारे कमरों के सामने चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ थे और उन पहाड़ों पर हरियाली से आच्छादित पेड़ ही पेड़ l रजत, राजेश और अश्वनी के कमरे के आगे बड़ी बालकानी थी जहाँ आप बैठे बैठे इन खुबसूरत नजारों में कहीं खो सकते थे l
कमरों में सामान ज़माने के बाद चाय पी, हाथ-मुँह धोये, कपडे बदले और फिर पैदल पैदल ही हम एक कच्ची सड़क पर उन बेहद हरियाले रास्तों पर घुमने निकल गए l एक पहाड़ की खुबसूरत तलहटी में हम सबने खूब फ़ोटोज़ ली l लौटते वक्त हम सब एक बाँसुरी की धुन सुन कर ठिठक गए l पास ही स्तिथ एक रिसोर्ट के टेंट में रुका हुआ एक बाइकर बाँसुरी पर राग यमन बजा रहा था जिसको सुन कर हम सब मंत्रमुग्ध हो गए थे l रजत ने उसका पूरा विडियो भी बनाया l
स्पिति वैली यात्रा का सम्पूर्ण वृतांत
Camping is the activity in which people like to visit places like hill-stations where they like to do activities whatever they want.In India several people like to participate in camping like family members,collage groups and school groups. In Himachal pradesh there several sites for camping like Lahaul and Spiti where several people like to visit for camping where they like to do activities like photo-graphy,bonfire and swimming etc.
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