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Trip To Spiti Valley - Kaza | स्पिति वैली यात्रा - काज़ा

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स्पिति वैली यात्रा - 05 जून 2019 - काज़ा




हमेशा की तरह आज भी सुबह जल्दी ही नींद खुल गयी l आज हमे कभीं भी नहीं जाना था और काज़ा के ही आस पास दर्शनीय स्थल देखने थे जैसे – कोमिक, लान्ग्जा, हिक्किम, की-मोनेस्ट्री इत्यादि l मैं और विक्रांत जैसे ही फर्स्ट फ्लोर पहुँचे तो देखा की राजेश पहले से ही जगा हुआ है और गैलरी में घूम रहा है l राजेश ने बताया की अश्विनी की तबियत सही नहीं है और वो रात एक बजे से ही जगा हुआ है l अश्विनी को AMS (अक्युट माउंटेन सिकनेस) हो गया था l AMS बहुत अधिक ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कम मात्रा के कारण शरीर पर पड़ने वाला एक दुर्प्रभाव है l अत्यधिक ऊँचाई पर जाने पर किसी-किसी के शरीर को अभ्यस्त होने में समय लगता है l AMS की वजह से साँस लेने में परेशानी होती है, सर दर्द करता है और उल्टी का सा मन होता है l असल में अश्विनी रोज़ ब्लड-प्रेशर की दवाई खाता है पर पिछले एक-दो दिनों से घुमने और मौज-मस्ती के चक्कर में उसने दवाई लेने में भी लापरवाही कर दी थी l

मैं और विक्रांत जब कमरे में पहुँचे तो देखा अश्विनी बैठा हुआ है और काफी परेशान सा लग रहा है l उसने बताया की रात एक बजे से उसे साँस लेने में तकलीफ हो रही है l हमने होटल के मैनेजर से संपर्क किया और उन्होंने अश्विनी के लिए लहसुन का सूप बनाया जिससे अश्विनी को काफी आराम मिला l ऐसी जगह होटल होने से उनको AMS के बारे में बहुत ज्ञान था और उन्होंने अश्विनी को देखकर हमे ये सुझाव दिया की हालाँकि अश्विनी के तबीयत बहुत ज्यादा ख़राब नहीं है परन्तु फिर भी आज उसे कहीं भी घुमने ना ले जाया जाए l लान्ग्जा, कोमिक इत्यादि की ऊँचाई काज़ा से भी ज्यादा थी इसीलिए अश्विनी को होटल ही छोड़ना उचित था और साथ ही में डॉक्टर से परामर्श लेना भी जरुरी था l

सुबह लगभग साढ़े-आठ बजे विक्रांत अश्विनी को डॉक्टर के पास लेकर गया l अश्विनी का BP ठीक नहीं था और वो होता भी कैसे जब उसने दवाई ही लेने में लापरवाही कर दी थी, डॉक्टर ने अश्विनी को 1-2 दवाईयां दी और आराम करने की सलाह दी साथ ही ये भी आश्वस्त किया की घबराने की कोई बात नहीं है l ये सुन कर अश्विनी को काफी राहत महसूस हुई क्योंकि घबराहट में उसने जाने क्या क्या सोच लिया था l इतना ही नहीं तबियत ख़राब होने पर उसने अपने घर भी फ़ोन कर दिया था जिससे उसके घर वाले भी परेशान हो गए थे l अश्विनी का बस चलता तो वो उसी दिन हवाई जहाज पकड़ कर जयपुर आ जाता लेकिन वहाँ से जल्द आने का कुछ भी विकल्प नहीं था l हालाँकि हम सब अश्विनी के साथ थे लेकिन कहीं ना कहीं वो अपने परिवार को मिस कर रहा था l असल में इस घटना ने उसको शारीरिक रूप से भी ज्यादा मानसिक रूप से प्रभावित किया था l

नहा-धो कर नाश्ता करके लगभग सुबह के दस बजे हम तैयार हो गए l अश्विनी होटल में ही आराम करने के लिए रुका और मैं, रजत और राजेश ड्राईवर सोनू के साथ इनोवा में लान्ग्जा के लिए रवाना हुए l मैंने सोचा बहुत दिनों से बाइक चला रहे है इसीलिए आज आस पास के दर्शनीय स्थल गाडी से चला जाए l विक्रांत भी हमारे साथ गाडी में चल सकता था लेकिन उसने अपनी बाइक से ही आना पसंद किया क्योंकि इन घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर उसको गाडी में बैठने में तकलीफ होती है l    

काज़ा से निकलते ही हम लान्ग्ज़ा के लिए घुमावदार सड़क पर चढ़ने लग गए l लान्ग्ज़ा जाने वाले रास्ता वाकई बहुत खुबसूरत है और कुछ जगह पर ऐसा लगता है की जैसे आप दूर तक चारों ओर फैले हुए बर्फ के पहाड़ों के समकक्ष खड़े है l लान्ग्ज़ा काज़ा से मात्र पंद्रह किलोमीटर स्तिथ बहुत छोटा सा गाँव है जो की लगभग 14,500 फीट की ऊँचाई पर है l यहाँ का मुख्य आकर्षण है बुद्ध भगवान् की एक मूर्ति जो की लगभग एक हज़ार साल पुरानी बतायी जाती है l बर्फ से लदी पहाड़ों से बनी पृष्ठभूमि के बीच ये मूर्ति बहुत ही अच्छी लगती है l मूर्ति लान्ग्ज़ा में काफी ऊँचाई पर बनी हुई है और नीचे मैदानी इलाके में चारों ओर यहाँ-वहाँ कुछ घर दिखाई देते है l 

लान्ग्ज़ा घूमकर कर हम सब कोमिक पहुँचे जो की काज़ा से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्तिथ है l कोमिक भी एक बहुत छोटा सा गाँव है जो की लगभग 15,027 फीट की ऊँचाई पर स्तिथ है l कोमिक के बारे में ये कहा जाता है की पूरी दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्तिथ ये गाँव सड़क से जुड़ा हुआ है l यहाँ पर भी एक मोनेस्ट्री स्तिथ है जो की लगभग 500 साल पुरानी बताई जाती है l ये मोनेस्ट्री ज्यादा बड़ी नहीं है और इस मोनेस्ट्री को अन्दर और बाहर से काफी अच्छी तरह से विभिन्न रंगों से सजाया हुआ है l अन्दर के प्रांगण के चारों ओर कमरे बने हुए है जिसमे की वहाँ बोद्ध संत रहते है l

मोनेस्ट्री के पास ही एक रेस्तौरेंट है जिसका नाम है स्पिति ओर्गानिक किचन जो की अपने आप को दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्तिथ रेस्तौरेंट बताता है l इस रेस्तौरेंट पर हम सबने थोड़ी देर बैठ कर चाय पी l वहाँ पर उस दिन काफी भीड़ थी और ये देखकर काफी अच्छा लगा की हमारे देश के कोने कोने से लोग यहाँ घुमने आये हुए थे l

कोमिक के बाद हम 14,500 फीट की ऊँचाई पर स्तिथ गाँव हिक्किम पहुँचे जहाँ पर दुनिया का सबसे ऊँचाई पर स्तिथ डाकघर है l ये डाकघर 1983 से चल रहा है और ये पोस्टमॉस्टर के घर में ही स्तिथ है l रिनचेन छेरिंग इसके पोस्टमॉस्टर है जो की 1983 से ही यहाँ कार्यरत है l हिक्किम दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्तिथ वोटिंग केंद्र भी है l जिस दिन हम यहाँ पहुँचे उस दिन कोई सरकारी छुट्टी थी इसीलिए डाकघर तो बंद था लेकिन डाकघर के बिलकुल सामने स्तिथ एक दूकान पर हमने पोस्टकार्ड ख़रीदा और उस पर अपना संदेश लिखा और पोस्ट किया l दुनिया से सबसे ऊँचे डाकघर से पोस्टकार्ड पोस्ट करना एक अलग ही अनुभव था l 

हिक्किम से निकल कर हम की-मोनेस्ट्री के लिए रवाना हो गए l रास्ते में सोनू ड्राईवर ने हमे पहाड़ पर स्तिथ वो किला भी दिखाया जहाँ पर अक्षय कुमार अभिनीत फ्लिम केसरी की शूटिंग हुई थी l रास्ते में हमने पहाड़ों पर घुमती हुई आईबैक्स (पहाड़ी भेड़) भी देखी जिनका रंग बिलकुल वहाँ स्तिथ पहाड़ों जैसा ही होता है जिसके कारण ये लगभग अदृश्य लगती है l

स्पिति नदी के किनारे स्तिथ की-मोनेस्ट्री लगभग 13,670 फीट की ऊँचाई पर बनी हुई है और इस पूरे स्पिति वैली की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री बताई जाती है l साल 2000 में ही की-मोनेस्ट्री को बने हुए हज़ार साल पूरे हो गए थे और इस जश्न के अवसर पर दलाई लामा खुद भी मौजूद थे l की-मोनेस्ट्री ने कई बार बाहरी आक्रमण झेले है और कई बार इसे नुकसान पहुँचा है लेकिन समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार भी किया गया है इसीलिए ये आज तक संग्रक्षित है l की-मोनेस्ट्री से दिखने वाले दृश्य बहुत ही लाजवाब है, चारों ओर बर्फ से आच्छादित पहाड़ और साथ बहती हुई स्पिति नदी l अधिकतर मोनेस्ट्री की तरह इसे भी सफ़ेद और मेहरून रंग से सजाया गया है और मुख्य कक्ष काफी आकर्षित करता है क्योंकि इसे चित्रों से सजाया हुआ है और यहाँ काफी चमकते हुए रंगों का उपयोग किया गया है l वहाँ पर हमे एक मोंक मिले जिन्होंने मोनेस्ट्री के अंदरूनी भाग में स्तिथ एक रसोई में हमे विशेष तरीके से बनी हुई चाय पिलाई l ये चाय का बहुत अलग सा जायका थे और मोंक ने हमे बताया की ये चाय शरीर की ऊर्जा को बढ़ाती है l
    
इन सब स्थानों पर घुमने के पश्चात हम लगभग चार बजे होटल पहुँचे और कुछ देर होटल में आराम करने के बाद हम दुबारा बाज़ार घुमने गए l हालाँकि अश्विनी अब अच्छा महसूस कर रहा था लेकिन विक्रांत उसे एक बार फिर से डॉक्टर के पास ले गया ताकि हम सब आश्वस्त हो सकें की अब अश्विनी ठीक है l बाज़ार में हम कुछ देर घूमें, SBI के ATM से पैसे निकाले, जलेबी का आनंद उठाया, कुछ खरीदारी की और फिर अपने होटल आ गए l 

आज काज़ा में हमारी आखिरी रात थी और चूँकि कुंजुम पास तो अभी तक खुला नहीं था इसीलिए अगले दिन हमे चिटकुल जाना था l हमारे होटल साक्या ने रात के लिए हमारे लिए विशेष वहाँ का पारंपरिक भोजन बनवाया l इसी बीच विक्रांत के पास उसके घर से फ़ोन आया और किसी विशेष कारण से अब विक्रांत को जयपुर जल्द से जल्द पहुँचना था l इसका मतलब था कि विक्रांत चिटकुल नहीं जा पाएगा, स्तिथि देखकर मुझे लगा की मुझे भी विक्रांत से साथ जयपुर ही जाना चाहिए l हम जयपुर से साथ आयें है और जयपुर तक साथ ही जायेंगे l 

जब रजत, राजेश और अश्विनी को हमने ये बताया की हमे जयपुर जाना होगा और हम उनके साथ चिटकुल नहीं आ पायेंगे तो उन्हें भी थोड़ी निराशा हुई l इतने दिनों से हम सब साथ ही मौज-मस्ती कर रहे थे, साथ घूम रहे थे, साथ खा-पी रहे थे इसीलिए अब अलग अलग होने में दुःख हो रहा था लेकिन कई बार परिस्तिथियों के आगे मजबूर होना ही पड़ता है l रात को हमने साथ बैठकर वहाँ का पारंपरिक भोजन किया, भोजन के बाद कुछ देर बाहर चहलकदमी की और फिर सो गए l अगले दिन रजत, राजेश और अश्विनी को चिटकुल जाना था और हमे यानी की मुझे और विक्रांत को पता नहीं कहाँ ?

लान्ग्ज़ा की ओर

यहाँ-वहाँ कुछ कुछ घर दिखाई देते है

बर्फीले पहाड़

भगवान् बुद्ध

भगवान् बुद्ध

भगवान् बुद्ध के चारों ओर के नज़ारे

भगवान् बुद्ध के चारों ओर के नज़ारे

भगवान् बुद्ध के चारों ओर के नज़ारे

भगवान् बुद्ध

बुद्धिश झंडे

याक़ का काफिला

खुबसूरत नज़ारे

कोमिक की ओर

कोमिक

कोमिक मोनेस्ट्री

कोमिक

खुबसूरत रंग

कोमिक मोनेस्ट्री अन्दर से

कोमिक मोनेस्ट्री

मोनेस्ट्री का द्वार

कोमिक स्तिथ रेस्तौरेंट

विक्रांत

लवनीश

हिक्किम

रजत @ हिक्किम स्तिथ दुनिया का सबसे ऊँचा डाकघर

राजेश

लवनीश

हिक्किम

की-मोनेस्ट्री की ओर

की-मोनेस्ट्री की ओर

केसरी मूवी की शूटिंग यहाँ हुई थी

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की-मोनेस्ट्री की ओर

काज़ा

पहाड़ी हिरण

की-मोनेस्ट्री की पहली झलक

इतिहास

इतिहास

की-मोनेस्ट्री

की-मोनेस्ट्री

की-मोनेस्ट्री से दिखने वाले दृश्य

की-मोनेस्ट्री

की-मोनेस्ट्री अंदर से

की-मोनेस्ट्री का मुख्य द्वार

की-मोनेस्ट्री

की-मोनेस्ट्री में काफी खुबसूरत रंगों का उपयोग किया हुआ है

की-मोनेस्ट्री

की-मोनेस्ट्री के अन्दर की रसोई

हमारे होटल का रेस्तौरेंट

हमारे लिए विशेष रूप से तैयार किया हुआ पारंपरिक भोजन


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